नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को कहा कि वह कर्ज के जाल में फंसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंस सर्विसेस (आईएलएंडएफएस) के लिए आवश्यक धन का प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि कंपनी को आगे किसी अन्य कर्ज भुगतान में और चूक न करनी पड़े। एनसीएलटी की मुंबई बेंच द्वारा सरकार को आईएलएंडएफएस के बोर्ड को भंग करने की अनुमति दिए जाने के बाद वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि वित्तीय बाजार में विश्वास को पुन: बहाल करने के लिए यह कदम उठाना जरूरी हो गया था और उम्मीद है कि वित्तीय संस्थान एनबीएफसी को तरलता प्रदान करेंगे।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि यह बहुत जरूरती हो गया है कि अब किसी अन्य कर्ज के भुगतान में चूक को तत्काल रोका जाए तथा पहले हो चुकी चूक के समाधान के लिए कदम उठाए जाएं। मंत्रालय ने कहा कि इसके लिए संपत्तियों की बिक्री, कुछ देनदारियों के पुनर्संरचना तथा निवेशकों एवं कर्जदाताओं की ओर से नया धन उपलब्ध कराए जाने जैसे कई कदम उठाने की जरूरत होगी। आईएलएंडएफएस के निदेशक मंडल में बाजार का भरोसा तथा कंपनी को फिर से खड़ा किए जाने की जरूरत है।
मंत्रालय ने आगे कहा है कि यह देखने में आया है कि नकदी संकट के बावजूद कंपनी ने लगातार लाभांश और प्रबंधक स्तर के अधिकारियों को भारी वेतन देना जारी रखा। यह दिखाता है कि प्रबंधन पूरी तरह से अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। इतना ही नहीं मंत्रालय को आईएलएंडएफएस और इसकी सब्सिडियरी से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ कुछ गंभीर शिकायतें भी मिली हैं, जिनके खिलाफ एसएफआईओ जांच के आदेश दिए जा चुके हैं।
एनसीएलटी ने सरकार की याचिका पर सोमवार को कंपनी के निदेशक मंडल को फिर से गठित करने की अनुमति दे दी है। इसके लिए छह सदस्यों की नियुक्ति की अनुमति दी गई है, जिसमें उदय कोटक को गैर कार्यकारी चेयरमैन बनाया गया है।