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बेहद जरूरी हो तो ही टालें EMI, जानिए क्यों सभी के लिए फायदे का सौदा नहीं है किश्त टालना

पर्सनल लोन औऱ क्रेडिट कार्ड के भुगतान टालने पर हो सकता है ज्यादा नुकसान

India TV Paisa Desk Written by: India TV Paisa Desk
Published on: April 01, 2020 17:01 IST
EMI moratorium - India TV Paisa
Photo:FILE

EMI moratorium 

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के छूट के ऐलान के साथ बैंकों ने टर्म लोन EMI को 3 महीने टालने के आदेश जारी कर दिए हैं। लॉकडाउन की वजह से लोगों की आय पर असर को देखते हुए ग्राहकों को EMI में राहत देने का फैसला लिया गया है। हालांकि जानकार मान रहे हैं कि इस विकल्प का इस्तेमाल सिर्फ मुसीबत से निकलने के लिए ही किया जाना चाहिए। क्योंकि इससे लोगों को समय तो मिलेगा लेकिन फायदा नहीं मिलेगा।

देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने ग्राहकों को भेजी सूचना में कहा कि मोहलत अवधि के दौरान जो भी बकाया राशि है, उस पर ब्याज जुड़ता रहेगा। बढ़ा हुआ ब्याज उन कर्जदारों से अतिरिक्त ईएमआई के जरिये लिया जाएगा जो तीन महीने की मोहलत का विकल्प चुनते हैं। एसबीआई ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर संबंधित ग्राहक का मकान कर्ज 30 लाख रुपये है और इसे लौटाने की अवधि 15 साल बची हुई है, तो तीन महीने की मोहलत अवधि का विकल्प लेने पर 2.34 लाख रुपये के करीब अतिरिक्त ब्याज लगेगा जो 8 ईएमआई के बराबर है। इसी प्रकार, अगर ग्राहक ने 6 लाख रुपये का वाहन कर्ज ले रखा है और उसे लौटाने के लिये 54 महीने का समय बचा है तो छूट अवधि का विकल्प चुनने पर उसे 19,000 रुपये करीब अतिरिक्त ब्याज देना होगा जो 1.5 अतिरिक्त ईएमआई के बराबर है। बैंक के अनुसार अगर ग्राहक ईएमआई देना जारी रखना चाहते हैं, उन्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है और वे पहले की तरह अपनी किस्त दे सकते हैं। इसके लिए उन्हें बैंक को ईमेल के जरिए सूचित करना होगा

इस बीच, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) जारी करते हुए कहा कि जिन कर्जदारों की आय पर फर्क नहीं पड़ा है, उन्हें अपनी ईएमआई समय पर भुगतान करनी चाहिए। बैंक के संघ आईबीए ने कहा कि अगर आपकी आय प्रभावित हुई है तो आप आरबीआई के राहत उपाय का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, आपको ध्यान रखना चाहिए कि आप जो ईएमआई टालेंगे, उस पर मोहलत अवधि के दौरान आपको कुछ नहीं देना होगा। लेकिन उस खाते पर ब्याज लगेगा और बाद में आपको चुकाना होगा। यानी आपके कर्ज की लागत बढ़ेगी।

यानि की आपके कर्ज पर ब्याज दर जितनी ज्यादा होगी आप पर ब्याज का बोझ उतना ही ज्यादा होगा। आईबीए ने संकेत दिए हैं कि ग्राहकों को पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड बिल के भुगतान को टालने के लिए सोच समझकर फैसला लेना चाहिए क्योंकि इन पर ब्याज सामान्य बैंक कर्ज के मुकाबले ज्यादा होता है।

पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस ने कहा कि जो ग्राहक इस योजना का लाभ उठाते हैं, उनके लिये बची हुई राशि लौटाने की मियाद बढ़ जाएगी और ईएमआई में वृद्धि संभव है। रिजर्व बैंक की अधिसूचना के अनुसार किस्त लौटाने पर रोक अवधि के बाद ऐसे कर्ज की मियाद तीन महीने बढ़ जाएगी। जो कर्ज है, उस पर मोहलत अवधि के दौरान भी ब्याज बनता रहेगा।

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