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आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान: इक्रा

रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि कोविड-19 संक्रमण के घटते मामले तथा पाबंदियों में ढील से वित्त वर्ष 2021-22 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रह सकती है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: June 10, 2021 18:06 IST
आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान: इक्रा- India TV Paisa
Photo:FILE

आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान: इक्रा

मुंबई: रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि कोविड-19 संक्रमण के घटते मामले तथा पाबंदियों में ढील से वित्त वर्ष 2021-22 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रह सकती है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार आधार मूल्य (2011-12 के स्थिर मूल्य) पर सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) चालू वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर तथा इसकी रोकथाम के लिये विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन के प्रभाव को अप्रैल-मई 2021 के दौरान उच्च आवृति वाले विभिन्न संकेतकों में देखा गया। अब नये मामले आने कम हुए हैं और पाबंदियों में ढील दी जा रही है। ऐसे में हमारा अनुमान है कि देश की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 8.5 प्रतिशत रहेगी।’’ रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि टीका नीति में बदलाव और केंद्रीय स्तर पर खरीदे जाने की घोषणा को देखते हुए अगर टीकाकरण अभियान में तेजी आती है, तो तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। इससे जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत तक जा सकती है।’’ 

उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है। पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों में चालू वित्त वर्ष के दौरान वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि उपभोक्ता धारणा और मांग पर दूसरी लहर का नकारात्मक प्रभाव लंबे समय तक रह सकता है। स्वास्थ्य और ईंधन पर खर्च बढ़ने से लोगों के लिये खर्च योग्य आय कम होगी। इससे वित्त वर्ष 2021-22 में दबी हुई मांग 2020-21 के मुकाबले कम सामने आएगी। 

इक्रा ने कहा कि इस साल मानसून सामान्य रहने के साथ खाद्यान्न उत्पादन बेहतर रहने की उम्मीद है। साथ ही मजदूर 2021 में 2020 की तुलना में अपने घरों की ओर कम संख्या में लौटे हैं। इन सब कारणों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार संक्रमण तेजी से फैलने, लोगों के रोजगार जाने के साथ बाहर से अपेक्षाकृत कम पैसा आने से ग्रामीण स्तर पर धारणा और मांग कमजोर रहने की आशंका है। 

उसने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर से भारतीय अर्थव्यवस्था के अल्पकालीन परिदृश्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। लेकिन टीके के कारण उत्पन्न उम्मीदों से वैश्विक स्तर पर जिंसों के दाम में तेजी है। इक्रा के अनुसार घरेलू मांग कमजोर होने से कीमत निर्धारण पर असर पड़ेगा तथा इससे कई क्षेत्रों में मार्जिन प्रभावित हो सकता है। मुद्रास्फीति के बारे में रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) और डब्ल्यूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) मुद्रास्फीति औसतन क्रमश: 5.2 प्रतिशत और 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर 2021-22 में 15 से 16 प्रतिशत रहने की संभावना है।

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