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मंदी में आई भारतीय अर्थव्यवस्था, जानिए आजादी के बाद से कैसी रही देश की आर्थिक चाल

दूसरी तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, वहीं पहली तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 23 फीसदी से ज्यादा की गिरावट रही थी। इससे पहले 4 बार भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी देखने को मिल चुकी है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 27, 2020 20:38 IST
भारत की जीडीपी- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

भारत की जीडीपी

नई दिल्ली। दूसरी तिमाही में गिरावट दर्ज करने के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था आधिकारिक रूप से मंदी में प्रवेश कर गई है। दरअसल लगातार दो तिमाही में गिरावट दर्ज होने के साथ ही माना जाता है कि अर्थव्यवस्था मंदी में पहुंच गई है। दूसरी तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, वहीं पहली तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 23 फीसदी से ज्यादा की गिरावट रही थी। वहीं दूसरी तिमाही के आंकड़े सामने आने के साथ ही मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि अभी अनिश्चितता बनी हुई है और कहा नहीं जा सकता कि ग्रोथ तीसरी तिमाही से शुरू होगी या फिर चौथी तिमाही से। यानि इस बात की आशंका बनी हुई है कि भारत अगली तिमाही में भी मंदी में बना रह सकती है। हालांकि इस बात के संकेत साफ हैं कि इस वित्त वर्ष में गिरावट देखने को मिलेगी।

 

कब-कब आई भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी

अब तक भारत में 4 वित्त वर्ष के दौरान रियल जीडीपी में गिरावट यानि मंदी देखने को मिली है। 1957-58 में 1.2 फीसदी की गिरावट, 1965-66 में 2.6 फीसदी की गिरावट, 1972-73 में 0.6 फीसदी की गिरावट और 1979-80 में 5.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। उदारीकरण से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का हिस्सा काफी बड़ा था, इसलिए सूखे या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ जीडीपी का लुढ़कना बना रहा। 1957 में सूखे से निपटने के लिए सरकार को आयात बढ़ाना पड़ा, वहीं निर्यात में कमजोरी से भारत का व्यापार घाटा 3 साल में नौ गुना बढ़ गया। वहीं विदेशी मुद्रा भंडार घट कर आधा रह गया। वहीं 1965-66 में युद्ध के असर से जूझ रहे सरकारी खजाने पर लगातार दो सूखे की मार पड़ी। सरकार को आयात बढ़ाना पड़ा जिसका असर जीडीपी पर दिखा। 1973 में तेल कीमतों में 400 फीसदी के उछाल से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका पहुंचा।

वित्त वर्ष 1979-80 की तेज गिरावट

साल 1979-80 में जीडीपी में 5.2 फीसदी की तेज गिरावट दर्ज हुई थी। इस गिरावट के पीछे दो अहम वजह थी। 1979 में देश में भीषण अकाल पड़ा था, जिसका असर राजस्थान पंजाब और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा देखने को मिला और इससे 20 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। सूखे की वजह से कृषि उत्पादन 10 फीसदी घट गया था। इससे साथ इस दौरान कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला था, जिससे महंगाई 20 फीसदी तक उछल गई थी।    

कब दर्ज हुई अर्थव्यवस्था में तेज बढ़त

कोरोना संकट के पहले अर्थव्यवस्था की चाल पर नजर डालें तो देश की जीडीपी निगेटिव 5.2 फीसदी से लेकर 10 फीसदी से थोड़ा ऊपर के स्तर के बीच बनी रही है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2006-07 में देश की अर्थव्यवस्था 10.08 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी थी, जो की उदारीकरण के बाद से घरेलू अर्थव्यवस्था की सबसे तेज रफ्तार रही है।  वहीं इससे पहले 1988-89 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 10.2 फीसदी की दौड़ लगाई थी, जो की आजादी के बाद की सबसे तेज बढ़त रही है।

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