मुंबई। राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) ने कहा है कि उसने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत सस्ते आवास रिण के लेनदारों को ब्याज सहायता के तौर पर अब तक 30,000 करोड़ रुपये वितरित किये हैं। यह योजना जून 2016 में शुरू हुई थी। पीएमएवाई के तहत सस्ते आवास रिण के लिये तीन प्रतिशत अंक तक की ब्याज सब्सिडी दी जाती है। हालांकि, इसमें प्रत्येक पात्र कर्ज लेनदार के लिये एक बारगी सब्सिडी को अधिकतम 2.35 लाख रुपये रखा गया है। यह योजना जून 2016 से लागू हुई और इसे राष्ट्रीय आवास मिशन के एक हिस्से के तौर पर शुरू किया गया।
राष्ट्रीय आवास बैंक के साथ ही हुडको और भारतीय स्टेट बैंक को इस योजना के तहत कर्जदाता संस्थान को सब्सिडी जारी करने और उसकी प्रगति पर निगरानी रखने के लिये शीर्ष केन्द्रीय एजेंसी नियुक्त किया गया है। एनएचबी के कार्यकारी निदेशक राहुल भावे ने एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार की योजना के हिस्से के तौर पर पात्र कर्ज लेनदारों को पिछले पांच साल के दौरान हमने 30,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी उपलब्ध कराई है।
बिल्डर को पैसा या जेल की सजा ही समझ में आती है
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा, “बिल्डर को या तो पैसा दिखता है या फिर जेल की सजा ही समझ में आती है।” न्यायालय ने एक रियल स्टेट कंपनी को उसके आदेश का जानबूझकर पालन ना करने के लिए अवमानना का दोषी करार देते हुये यह कहा और उसपर 15 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। उच्चतम न्यायालय ने रियल एस्टेट फर्म इरियो ग्रेस रियलटेक प्राइवेट लिमिटेड को राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नल्सा) के पास 15 लाख रुपये जमा करने और कानूनी खर्च के तौर पर घर खरीदारों को दो लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। कंपनी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर खरीदारों को पैसा नहीं लौटाया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने गौर किया कि इस साल पांच जनवरी को उसने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद समाधान आयोग के 28 अगस्त के पिछले साल के फैसले को बरकरार रखा था जिसमें कंपनी को घर खरीदारों को नौ प्रतिशत ब्याज के साथ रिफंड का निर्देश दिया गया था।