नई दिल्ली। बीते वित्त वर्ष 2020-21 में कोरोना वायरस महामारी के बीच लोगों ने एहतियातन नकदी को अपने पास रोका, जिससे चलन में मौजूद बैंक नोटों में औसत से अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली। भारतीय रिजर्व बैंक की बृहस्पतिवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में मूल्य के हिसाब से चलन में नोट 16.8 प्रतिशत तथा मात्रा के हिसाब से 7.2 प्रतिशत बढ़े। इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में यह आंकड़ा क्रमश 14.7 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत रहा था।
सिस्टम में कौन से नोट रहे सबसे ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2021 तक चलन में मौजूद कुल बैंक नोटों में 500 और 2,000 रुपये के नोटों का हिस्सा 85.7 प्रतिशत था। वहीं, 31 मार्च, 2020 के अंत तक यह आंकड़ा 83.4 प्रतिशत था। केंद्रीय बैंक की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘2020-21 में कोविड-19 महामारी की वजह से लोगों ने एहतियातन नकदी को अपने पास रोककर रखा, जिससे चलन में नोटों में औसत से अधिक का इजाफा हुआ।’’ रिजर्व बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था में नकदी की एहतियाती मांग बढ़ने के बीच उसने बैंक नोटों की बढ़ी मांग को पूरा करने का प्रयास किया। ‘‘इस बात के समन्वित प्रयास किए गए कि करेंसी चेस्ट में सभी मूल्य के नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहें जिससे देशभर में समय पर नए नोटों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
बैंक नोट के लिये ऑर्डर घटे
रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में बैंक नोटों के लिए ऑर्डर एक साल पहले की तुलना में 9.7 प्रतिशत कम रहे। आपूर्ति भी एक साल पहले की तुलना में 0.3 प्रतिशत कम रही। रिजर्व बैंक ने अपना वित्त वर्ष पहले के जुलाई से जून से बदलकर अप्रैल- मार्च कर दिया है। वर्तमान सालाना रिपोर्ट जुलाई 2020 से मार्च 2021 की नौ माह की अवधि के लिये जारी की गई है।
यह भी पढ़ें: एक बार फिर लुढ़की सोने और चांदी की कीमत, जानिये आज कितना सस्ता हुआ भाव
यह भी पढ़ें- जानिये क्यों पर्सनल लोन से बेहतर है गोल्ड लोन, कहां मिल रहा है सबसे सस्ता कर्ज