
Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana will requir 20 million tons grain for 5 months
नई दिल्ली। कोरोना महामारी की वजह से गरीब भूखा न रहे, इसके लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत देश के 80 करोड़ लोगों को हर महीने फ्री में 5 किलो गेहूं या चावल तथा 1 किलो चना देने की घोषणा की है और नवंबर अंत तक सरकार यह सब फ्री में देगी। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या सरकार के पास क्या इतना स्टॉक पड़ा भी है कि वह 5 महीने तक फ्री में 80 करोड़ लोगों को 5 किलो गेहूं या चावल के साथ एक किलो चना उपलब्ध करा सके?
सरकार के अनाज गोदामों में पड़े अन्न के भंडार पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि सरकार ने इसकी तैयारी पहले से कर रखी है और तैयारी के बाद ही प्रधामंत्री मोदी ने 80 करोड़ गरीबों को नवंबर अंत तक हर महीने राशन फ्री में देने की घोषणा की है। सरकार ने इस साल देश के किसानों से रिकॉर्ड तोड़ गेहूं, चावल और चने की खरीद की है ताकि गरीबों की जरूरत को पूरा किया जा सके।
सबसे पहले गेहूं और चावल की बात करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि 80 करोड़ लोगों को हर महीने या 5 किलो गेहूं दिया जाएगा या फिर 5 किलो चावल। यानि कुल मिलाकर हर महीने लगभग 40 लाख टन अनाज की जरूरत पड़ेगी और 5 महीने में करीब 200 लाख टन अनाज चाहिए होगा। भारतीय खाद्य निगम के मुताबिक पहली जून तक सरकार के अनाज भंडार में लगभग 558 लाख टन गेहूं और करीब 294 लाख टन चावल पड़ा हुआ और जून के दौरान गेहूं के स्टॉक में और भी बढ़ोतरी हुई है जबकि चावल का स्टॉक कुछ कम हुआ है। कुल मिलाकर पहली जून तक सरकारी स्टॉक में लगभग 833 लाख टन गेहूं चावल दर्ज किया गया है। सितंबर से सरकारी गोदामों में नया चावल आना फिर शुरू हो जाएगा जिसके बाद चावल के स्टॉक में और भी ज्यादा बढ़ोतरी होगी। यानि कुल मिलाकर सरकार के पास प्रधामंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए पर्याप्त मात्रा में गेहूं और चावल का स्टॉक पड़ा हुआ है।
अब चने की बात करें तो सरकार ने हर महीने 80 करोड़ लोगों को 1 किलो चना देने की घोषणा की है। यानि हर महीने लगभग 8 लाख टन चने की जरूरत पड़ेगी। सरकार ने किसानों से इसके लिए लगभग 21 लाख टन चना पहले ही खरीद लिया है जो लगभग 3 महीने की जरूरत पूरा करेगा और बाकी 2 महने के लिए अतरिक्त चना खरीदने की जरूरत पड़ेगी।
केंद्र सरकार पर इस योजना का खर्चा उठाने के लिए लगभग 90 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा और पिछले 3 महीने का खर्च भी जोड़ लें तो लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए बैठते हैं। गरीबों के कल्याण के लिए इस योजना को लागू करने में केंद्र सरकार की सबसे ज्यादा मदद किसानों और टैक्स दाताओँ ने की है। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने योजना की घोषणा करते समय यह बात मानी है।