सरकार की तरफ से गेहूं के बनावटी किल्लत की स्थिति को रोकने और जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया गया है। गेहूं का प्रोसेस करने वालीं कंपनी वित्त वर्ष 2023-24 के बाकी महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70 प्रतिशत रख सकती हैं।
यह बढ़ोतरी मोदी सरकार के अबतक के टेन्योर में सबसे ज्यादा है। मार्केटिंग ईयर 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है।
FCI E-Auction: केंद्र, गेहूं और चावल की बढ़ती खुदरा कीमतों को कम करने के लिए हर स्तर पर काम कर रहा है। आज पांचवीं नीलामी हुई है।
Modi Government: जमाखोरी रोकने और बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने 12 जून को गेहूं पर तत्काल प्रभाव से मार्च 2024 तक भंडारण सीमा लगा दी थी।
गेहूं और चावल की मौजूदा खरीद से सरकारी भंडारों में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार बना हुआ है।
देश में रबी सीजन का खरीद कार्यक्रम अभी खत्म ही हुआ है, लेकिन इसके बावजूद गेहूं की कीमतें उफान भर रही हैं, अब सरकार कीमतें घटाने के लिए बड़ा कदम उठा रही है
सरकार ने ई-नीलामी के जरिये आटा मिलों, निजी व्यापारियों और गेहूं उत्पादों के निर्माताओं को केंद्रीय पूल से ओएमएसएस के तहत 15 लाख टन गेहूं की बिक्री करने की घोषणा की थी।
यह ‘स्टॉक लिमिट’, व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी खुदरा श्रृंखला विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं पर 31 मार्च, 2024 तक के लिए लगाई गई है।
लगभग 47,000 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य के भुगतान किये जाने के साथ लगभग 21.27 लाख किसान गेहूं खरीद के काम से लाभान्वित हो चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के किसान इस समय खास तरह के काले गेहूं की पैदावार कर रहे हैं, इसकी कीमत उन्हें आम गेहूं से 5 गुनी मिल रही है, वहीं लोग भी इसके गुणों के चलते खूब अपना रहे हैं।
देश में गेहूं उत्पादन 11 करोड़ 27.4 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 50 लाख टन अधिक है।
खरीद में प्रमुख योगदान तीन गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश से क्रमशः 89.79 लाख टन, 54.26 लाख टन और 49.47 लाख टन की खरीद के साथ हुआ है।
पंजाब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य की मंडियों में फसल की आवक को देखते हुए पंजाब में 1.20 करोड़ टन गेहूं खरीद होने की उम्मीद है।
कुछ राज्यों में गर्मी की लहर के कारण इससे पिछले वर्ष में गेहूं का उत्पादन मामूली रूप से घटकर 10.77 करोड़ टन रह गया था।
भारत गेहूं के प्रमुख उत्पादकों में से एक है। यह देश की एक बड़ी आबादी के लिए प्रमुख भोजन है। भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच ऊंची मुद्रास्फीति और खाद्य सुरक्षा की चिंता से पहले से है।
एफसीआई के अनुसार ताजा गेहूं की फसल की सरकारी खरीद शुरू हो गई है, और सोमवार को मध्य प्रदेश में लगभग 10,727 टन गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की गई है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, गेहूं और गेहूं आटे की खुदरा कीमतों को कम करने के कदमों के तहत पिछले चार दौरों में लगभग 23.47 लाख टन गेहूं खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक उपयोगकर्ताओं को बेचा गया था।
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि अगले दो हफ्तों में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाली कोई गर्मी की लहर की आशंका नहीं है।
पिछले साल रोटी की महंगाई ने आम लोगों को खूब सताया। लेकिन इस साल आसार अभी तक अच्छे दिख रहे हैं। सरकार की एक समिति ने राहत देने वाली खबर दी है।
एफसीआई को खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक उपभोक्ताओं को 15 मार्च तक साप्ताहिक ई-नीलामी के जरिए कुल 45 लाख टन गेहूं बेचने को कहा गया है, ताकि गेहूं और गेहूं आटे की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाई जा सके।
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