गेहूं की कीमतों का असर सीधे आटे की कीमतों पर पड़ रहा है। आटे की कीमत गेहूं से ज्यादा बढ़ी हैं। कारोबारियों के अनुसार आटे का भाव 19 से 20 फीसदी चढ़ चुके हैं। साल भर पहले 30 से 32 रुपये में मिलने वाला आटा 35 से 40 रुपये किलो मिल रहा है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 27 दिसंबर को गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 32.25 रुपये प्रति किलोग्राम था।
गेहूं की फसल को लेकर एक अच्छी खबर आई है, इससे अगले साल गेहूं का आटा सस्ता होगा। ऐसे में 2023 में रोटी पर महंगाई का बोझ घट सकता है और ब्रेड के दाम भी कम हो सकते हैं।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर से शुरू हुए रबी सत्र में पिछले हफ्ते तक गेहूं खेती का रकबा तीन प्रतिशत बढ़कर 286.5 लाख हेक्टेयर हो गया।
Essential Commodities Price: पिछले एक साल के दौरान गेहूं, आटा और चावल समेत रसोई के आवश्यक सामानों की औसत खुदरा कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है और त्योहारी सीजन के आगमन के साथ बढ़ती कीमतें जारी रह सकती है
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि खासतौर से रोटी पसंद करने वाले पंजाबी समुदाय को भारत के गेहूं बैन की कीमत चुकानी पड़ रही है।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि ‘सट्टेबाजी’ के कारण गेहूं की कीमतों में तेजी आई है।
Wheat Flour Exports Ban: सरकार ने बढ़ती कीमतों (Rate) पर अंकुश लगाने के लिए गेहूं का आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर रोक लगा दी है।
केंद्र सरकार (Central Government) ने बृहस्पतिवार को गेहूं के आटे के दाम में तेजी पर लगाम लगाने के लिये इसके निर्यात पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया है।
काफी दिनों से चल रही चर्चा से अब पर्दा उठ गया है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि गेहूं आयात (Wheat Import) करने की कोई योजना नहीं है
अब गेहूं के आटे के निर्यातकों को आटा निर्यात करने के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति की मंजूरी लेनी होगी और यह आवश्यकता 12 जुलाई से प्रभावी होगी।
सरकार उन निर्यातकों को गेहूं निर्यात की अनुमति दे रही है जिनके पास 13 मई से पहले के एल/सी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजारों में गेहूं की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।
संबंधित निर्यातक आईटीसी लिमिटेड ने दावा किया है कि 56877 टन की निर्यात खेप को सभी जरूरी मंजूरियां प्राप्त थीं। यह गेहूं भारत की आईटीसी ने जेनेवा की कंपनी को बेचा था, जिससे तुर्की ने खरीद की है।
भारत सरकार के गेहूं के एक्सपोर्ट (निर्यात) पर रोक लगाने के बाद विदेशी बाजारों में गेहूं की कीमतें 60% तक बढ़ चुकी हैं।
फरवरी में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से वैश्विक स्तर पर गेहूं की किल्लत पैदा हुई थी। यूक्रेन और रूस दुनिया भर में 12 प्रतिशत गेहूं की सप्लाई करते हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2021-22 के दौरान गेहूं का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान है। वहीं, दूसरी ओर रूस-यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई से गेहूं की मांग विदेशों में बढ़ गई है।
भारतीय किसानों को उनकी फसल की अधिक कीमत दिलाने में मददगार होगी। यानी किसानों के लिए यह युद्ध कमाई बढ़ाने के मौके लेकर आया है।
धान (गैर-बासमती), गेहूं, सोयाबीन, कच्चे पाम तेल और मूंग के लिए नए अनुबंधों की शुरूआत पर नियामक ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने चालू विपणन वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अब तक कुल 85,581 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड 433.32 लाख टन गेहूं की खरीद की है।
धान की खरीद भी सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है और इसने खरीफ मार्केटिंग सत्र 2019-20 के पिछले उच्च स्तर 773.45 लाख मीट्रिक टन के आंकड़े को पार कर लिया है।
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