भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अब खुले बाजार में 110 रुपए कुंटल कम भाव पर गेहूं बेचेगा।
कृषि वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि तमाम रबी फसलों के लिए यह पानी नहीं बल्कि सोना बरस रहा है।
गेहूं और अन्य रबी फसलों की बुवाई अक्टूबर से शुरू होती है, जबकि अप्रैल से कटाई का काम होता है। गेहूं मुख्य रबी फसल है।
केंद्रीय मंत्रीमंडल ने दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 325 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करने को अपनी अनुमति दे दी है।
राजस्थान में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद की अवधि को बढ़ाकर अब 30 जून कर दिया गया है।
जून महीने की शुरुआत हो गई, लेकिन अभी तक बिहार के सात जिलों में किसानों से छटांक भर गेहूं की भी अधिप्राप्ति (सरकारी खरीद) नहीं हुई है।
सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये सस्ती दरों पर 16.3 करोड़ अतिरिक्त परिवारों को एक किलो चीनी उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है।
पंजाब में इस साल 129.93 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले 20 साल का रिकॉर्ड स्तर है।
सरकारी एजेंसियों ने चालू रबी विपणन वर्ष (2019-20) में देशभर के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 323 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीद कर ली है।
13 मई तक सरकारी एजेंसियों ने देशभर के किसानों से 300.91 लाख टन गेहूं की खरीद कर ली है, इस साल पूरे रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान सरकार ने किसानों से 357 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ था
वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक आयात शुल्क को मौजूदा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है
सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,840 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, जो एक साल पहले 1,735 रुपए था।
किसानों द्वारा आंदोलन खत्म करने के कुछ घंटों बाद ही मोदी सरकार ने रबि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि करने की घोषणा की है।
2017-18 के दौरान देश में कुल मिलाकर 28.48 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ है जो अबतक का सबसे अधिक उत्पादन है
सरकारी एजेंसियों ने चालू रबी विपणन वर्ष 2018-19 में देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक प्रदेशों में कुल 355 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीद की है, जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य 320 लाख टन से 35 लाख टन ज्यादा है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की वेबसाइट पर उपलब्ध शुक्रवार को गेहूं की खरीद के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में सबसे ज्यादा 126.91 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है।
केंद्र सरकार ने इस साल गेहूं की रिकॉर्ड 3.5 करोड़ टन से अधिक की खरीद की है। अब सरकार उत्तर और मध्य भारत में मानसून आने से पहले अनाज के उचित भंडारण के लिए अतिरिक्त भंडारण सुविधा किराये पर लेने की योजना बना रही है।
देश में इस साल गेहूं की सरकारी खरीद 5 साल के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है। भारतीय खाद्य निगम की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक सरकारी एजेंसियों ने 7 जून तक देशभर में कुल 3.508 करोड़ टन गेहूं की खरीद कर ली है जो किसी भी रबी मार्केटिंग सीजन में अबतक हुई दूसरी सबसे अधिक खरीद है, इससे पहले रबी मार्केटिंग सीजन 2012-13 के दौरान देश में 3.81 करोड़ टन गेहूं खरीदा गया था जो अबक का रिकॉर्ड है।
सरकार ने विपणन वर्ष 2018-19 में किसानों से अब तक 3.40 करोड़ टन गेहूं खरीदा है, जो कि उसके द्वारा निर्धारित लक्ष्य से 6.25 प्रतिशत अधिक है। उत्तर प्रदेश में खरीद बढ़ने से इसमें और तेजी आने की उम्मीद है।
किसानों से गेहूं की भारी खरीद के बाद अब सरकार ने गेहूं पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया जिससे विदेशी गेहूं महंगा हो जाएगा और देश में पैदा हुए गेहूं की मांग बढ़ सकती है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक गेहूं पर आयात शुल्क बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया जा रहा है, पहले आयात शुल्क 20 प्रतिशत था
देश में इस साल जितना गेहूं पैदा हुआ है उसका एक तिहाई से ज्यादा सरकार ने खरीद लिया है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) की तरफ से जारी आंकड़ों से यह जानकारी निकलकर सामने आयी है। सरकार ने इस साल (रबी मार्केटिंग सीजन 2018-19) देशभर में किसानों से जितनी गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ था, 21 मई तक उस लक्ष्य से ज्यादा गेहूं खरीदा जा चुका है। देश के 3 प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में लक्ष्य से ज्यादा खरीद हुई है
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