
RBI may not extend moratorium on repayment of loans beyond Aug 31
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) संभवत: बैंकों के ऋण की किस्त के भुगतान पर रोक की सुविधा (लोन मोराटोरियम) को 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाएगा। सूत्रों ने कहा कि ऋण भुगतान पर छूट को आगे बढ़ाने से कर्ज लेने वाले ग्राहकों का ऋण व्यवहार प्रभावित हो सकता है और इससे कोविड-19 की वजह से उनके समक्ष आए मुद्दों का भी हल नहीं होगा। कोविड-19 महामारी के बीच सामान्य कारोबारी गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित होने की वजह से रिजर्व बैंक ने कंपनियों तथा व्यक्तिगत लोगों को राहत देते हुए ऋण की किस्तों के भुगतान पर एक मार्च से छह महीने के लिए छूट दी थी। छूट या किस्त भुगतान पर रोक की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो रही है।
सूत्रों ने कहा कि कर्ज लेने वाले ग्राहकों के लिए यह अस्थायी राहत थी। उन्होंने कहा कि यदि छूट की अवधि को छह महीने से आगे बढ़ाया जाता है, तो इससे कर्ज लेने वाले ग्राहकों का ऋण व्यवहार प्रभावित हो सकता और भुगतान की अवधि शुरू होने के बाद चूक का जोखिम बढ़ सकता है। कई बैंकरों जैसे एचडीएफसी लि. के चेयरमैन दीपक पारेख, कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक उदय कोटक ने रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास से आग्रह किया है कि इस सुविधा को आगे नहीं बढ़ाया जाए, क्योंकि बहुत से लोग इसका अनुचित फायदा उठा रहे हैं।
इस बीच, रिजर्व बैंक की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष 2019-20 की जनवरी-मार्च तिमाही में बिक्री में गिरावट की वजह से विनिर्माण कंपनियों के परिचालन लाभ में कमी आई है। केंदीय बैंक के सूचीबद्ध गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) कंपनियों के विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया है। इसमें कहा गया है कि सेवा क्षेत्र की कंपनियों (आईटी और गैर-आईटी) का परिचालन लाभ चौथी तिमाही में बिक्री में कमी की वजह से घटा है। यह विश्लेषण 2,620 सूचीबद्ध एनजीएनएफ कंपनियों के तिमाही वित्तीय नतीजों पर आधारित है। विश्लेषण के अनुसार बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों की बिक्री में 15.6 प्रतिशत की गिरावट आई। 2018-19 की चौथी तिमाही में इन कंपनियों की बिक्री 5.9 प्रतिशत बढ़ी थी।