नई दिल्ली। कच्चे तेल में गिरावट का तेल उत्पादक देशों की अर्थव्यवस्था पर असर सामने आने लगा है। मार्च के महीने में सऊदी अरब का विदेशी मुद्रा भंडार 2011 के बाद अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। दरअसल इस साल के पहली तिमाही में देश का बजट घाटा बढ़कर 9 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जिसका दबाव विदेशी मुद्रा भंडार पर देखने को मिला। पिछले साल इसी महीने में 7.4 अरब डॉलर का बजट सरप्लस था।
सऊदी अरब सरकार के मुताबिक मार्च के महीने में देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले महीने के मुकाबले 5.7% गिरकर 464 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। ये अप्रैल 2011 के बाद रिजर्व का सबसे निचला स्तर है। जानकारों के मुताबिक इससे संकेत मिले हैं कि सऊदी अरब अब अपनी जमा रकम का इस्तेमाल कोरोना संकट और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से अर्थव्यवस्था में आए नुकसान की भरपाई में कर रहा है।
देश के वित्त मंत्री महमूद अल जदान ने पहले ही ऐलान किया था कि वो इस साल अपने मुद्रा भंडार में से 32 अरब डॉलर से ज्यादा नहीं निकालेंगे और उधारी करीब 60 अरब डॉलर तक बढ़ा कर बजट घाटे को पूरा करने की कोशिश करेंगे।
कोरोना संकट और तेल संकट की वजह से सऊदी अरब सरकार ने सरकारी घाटे के जीडीपी के 9 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। हालांकि कुछ रिपोर्ट के मुताबिक घाटा जीडीपी के 22 फीसदी तक रह सकता है।