![crisil predicts Bumper Kharif output this year- India TV Paisa](https://resize.indiatv.in/resize/newbucket/1200_675/2020/07/farmer-1593934112.webp)
crisil predicts Bumper Kharif output this year
नई दिल्ली। खरीफ फसलों का रकबा बढ़ने तथा देश भर में मानसून की बरसात का बेहतर वितरण होने से खरीफ फसल का कुल उत्पादन इस वर्ष पांच से छह प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। क्रिसिल रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में यह अनुमान दिया है। क्रिसिल रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा कि 21 अगस्त की स्थिति के अनुसार देश में बरसात, दीर्घकालिक औसत से सात प्रतिशत अधिक रहा है। बरसात के अच्छे प्रसार से अधिकांश राज्यों में फसलों की बुवाई बेहतर रही है। क्रिसिल रिसर्च को उम्मीद है कि खरीफ सत्र 2020 में बुवाई का रकबा दो से तीन प्रतिशत बढ़कर 10.9 करोड़ हेक्टेयर होने से कृषि उत्पादन में 5-6 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त उत्पादकता भी दो से तीन प्रतिशत बढ़ने से, बम्पर खरीफ उत्पादन होने के आसार हैं।
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया कि बेहतर बरसात तथा पूर्वी और दक्षिणी दोनों राज्यों में प्रवासी मजदूरों की वापसी के कारण धान की खेती बढ़ना तय है। क्रिसिल रिसर्च के निदेशिका हेतल गांधी ने सोमवार को एक वेबिनार में कहा, ‘‘प्रवासी मजदूरों के वापस लौटने के कारण, पंजाब और हरियाणा में कई किसान धान की सीधी बुवाई कर रहे हैं, जिसकी उत्पादकता कम है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि इस कमी की भरपाई उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में धान के रकबे में हुई वृद्धि से होगी जहां मजदूर वापस लौट गए हैं। ‘‘इसके कारण पिछले साल के मुकाबले कुल धान उत्पादन बढ़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि पूर्वी राज्यों में कम लागत के कारण फसल की लाभप्रदता में सबसे अधिक वृद्धि देखी जा सकती है, वहीं दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों को, कपास और मक्का की कीमतें कम होने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। वहीं वर्ष 2020 के खरीफ सत्र में अनुकूल फसल मिश्रण (मिले जुले फसलों की खेती) और अधिक मात्रा में सरकारी खरीद के कारण, उत्तरी क्षेत्र सबसे अधिक लाभ में रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, सब्जियों, कपास और मक्का का रकबा पिछले सत्र की तुलना में कम रहेगा क्योंकि कीमतों में गिरावट ने किसानों को बुवाई से हतोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस से संबंधित आपूर्ति में व्यवधानों की वजह से, किसानों ने टमाटर जैसे जल्दी खराब होने की संभावना वाले फसलों के स्थान पर भिंडी और बैंगन जैसे अपेक्षाकृत तक कुछ लंबे समय तक चलने वाले बागवानी उत्पादों का रुख किया है। इसके अलावा, गांधी ने कहा कि इस तरह की बम्पर खरीफ फसल होने की वजह से विभिन्न कमोडिटी की कीमतों में गिरावट का दबाव बनेगा।