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Pakistan Economic Crisis : पाकिस्तान पर टूटा मुसीबतों का पहाड़, भयंकर कर्ज और आसमान छूती महंगाई के बाद मंडराया यह खतरा

Poverty in Pakistan : वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में एक करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं।

Pawan Jayaswal Written By: Pawan Jayaswal
Updated on: April 03, 2024 16:49 IST
पाकिस्तान आर्थिक संकट- India TV Paisa
Photo:REUTERS पाकिस्तान आर्थिक संकट

Poverty in Pakistan : कंगाली में आटा गीला...पाकिस्तान के लिए यह कहावत सच साबित हो रही है। नकदी संकट, भारी-भरकम कर्ज और उच्च महंगाई दर से जूझ रहे पाकिस्तान के लोग लगातार गरीबी रेखा से नीचे जा रहे हैं। विश्व बैंक ने कहा है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है। उसने आगाह किया है कि नकदी संकट से जूझ रहे देश में एक करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं। विश्व बैंक की यह आशंका 1.8 प्रतिशत की सुस्त आर्थिक वृद्धि दर के साथ बढ़ती महंगाई पर आधारित है, जो चालू वित्त वर्ष में 26 प्रतिशत पर पहुंच गयी है। विश्व बैंक ने पाकिस्तान के ग्रोथ आउटलुक पर अपनी छमाही रिपोर्ट में संकेत दिया कि देश लगभग सभी प्रमुख वृहद आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने से चूक सकता है।

3 साल तक घाटे में रह सकता है पाकिस्तान

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अपने प्राथमिक बजट लक्ष्य से पीछे रह सकता है। वह लगातार तीन साल तक घाटे में रह सकता है। यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तों के उलट है। मुद्रा कोष ने अनिवार्य रूप से अधिशेष की स्थिति की शर्त रखी हुई है। रिपोर्ट के मुख्य लेखक सैयद मुर्तजा मुजफ्फरी ने कहा कि हालांकि रिकवरी व्यापक है लेकिन यह अभी शुरुआती अवस्था में है। गरीबी उन्मूलन के जो प्रयास हो रहे हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इकोनॉमिक ग्रोथ मामूली 1.8 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है।

9.8 करोड़ पाकिस्तानी गरीबी रेखा से नीचे

लगभग 9.8 करोड़ पाकिस्तानी पहले से ही गरीबी रेखा के नीचे हैं। इसके साथ गरीबी की दर लगभग 40 प्रतिशत पर बनी हुई है। रिपोर्ट में गरीबी रेखा के ठीक ऊपर रह रहे लोगों के नीचे आने के जोखिम को बताया गया है। इसके तहत एक करोड़ लोगों के गरीबी रेखा के नीचे आने का जोखिम है। विश्व बैंक ने कहा कि गरीबों और हाशिये पर खड़े लोगों को कृषि उत्पादन में अप्रत्याशित लाभ से फायदा होने की संभावना है। लेकिन यह लाभ लगातार ऊंची महंगाई तथा निर्माण, व्यापार तथा परिवहन जैसे अधिक रोजगार देने वाले क्षेत्रों में सीमित वेतन वृद्धि से बेअसर होगा।

महंगाई दर 30% से ऊपर

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान दिहाड़ी मजदूरों की मजदूरी केवल पांच प्रतिशत बढ़ी जबकि मुद्रास्फीति 30 प्रतिशत से ऊपर थी। विश्व बैंक ने आगाह किया कि बढ़ती परिवहन लागत के साथ-साथ जीवन-यापन खर्च बढ़ने के कारण स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि की आशंका है। साथ ही इससे किसी तरह गुजर-बसर कर रहे परिवारों के लिए बीमारी की स्थिति में इलाज में देरी हो सकती है।

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