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2 करोड़ रोजगार हर साल पैदा हुए, लगातार घटी बेरोजगारी दर, सरकार ने सिटीग्रुप की रिपोर्ट को कुछ यूं किया खारिज

पीएलएफएस और आरबीआई के केएलईएमएस आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2017-18 से लेकर 2021-22 के दौरान आठ करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा किए।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Jul 08, 2024 19:00 IST, Updated : Jul 08, 2024 19:01 IST
बेरोजगारी दर- India TV Paisa
Photo:REUTERS बेरोजगारी दर

श्रम मंत्रालय ने सोमवार को सिटीग्रुप की हाल में आई उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि भारत को 7 प्रतिशत की ग्रोथ रेट होने पर भी रोजगार के समुचित अवसर पैदा करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। मंत्रालय ने बयान में कहा कि इस रिपोर्ट को तैयार करते समय ‘आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) और भारतीय रिजर्व बैंक के केएलईएमएस डेटा जैसे आधिकारिक स्रोतों से उपलब्ध व्यापक और सकारात्मक रोजगार आंकड़ों को ध्यान में नहीं रखा गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2017-18 से लेकर 2021-22 के दौरान आठ करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा किए। आरबीआई का केएलईएमएस डेटा उत्पादन में पांच प्रमुख बिंदुओं- पूंजी, श्रम, ऊर्जा, सामग्री और सेवाओं के बारे में जानकारी मुहैया कराता है। 

सिटीग्रुप का यह था अनुमान

सिटीग्रुप ने भारत में रोजगार के बारे में हाल में जारी एक रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि सात प्रतिशत की दर से वृद्धि करने पर भी भारत को रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया कराने में समस्या पेश आ सकती है। कुछ प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए खबरें जारी की हैं। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने बयान में कहा कि वह ऐसी रिपोर्ट का दृढ़ता से खंडन करता है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सभी आधिकारिक आंकड़ों का विश्लेषण नहीं करती हैं। पीएलएफएस और आरबीआई के केएलईएमएस आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2017-18 से लेकर 2021-22 के दौरान आठ करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा किए।

हर साल 2 करोड़ से ज्यादा रोजगार पैदा हुए

इस तरह प्रति वर्ष औसतन दो करोड़ से अधिक रोजगार पैदा हुए और 2020-21 के दौरान कोविड-19 महामारी के आर्थिक दुष्प्रभावों के बावजूद ऐसा देखने को मिला। बयान के मुताबिक, यह महत्वपूर्ण रोजगार सृजन विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी पहलों की दक्षता को दर्शाता है। वार्षिक पीएलएफएस रिपोर्ट में 2017-18 से 2022-23 के दौरान 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) से संबंधित श्रम बाजार संकेतकों में सुधार की प्रवृत्ति को दर्शाया गया है।

बेरोजगारी दर में लगातार आई गिरावट

मसलन, डब्ल्यूपीआर यानी रोजगार दर 2017-18 के 46.8 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 56 प्रतिशत हो गई। इसी तरह, देश में श्रमबल भागीदारी भी 2017-18 के 49.8 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 57.9 प्रतिशत हो गई। वहीं, 2017-18 में छह प्रतिशत पर रही बेरोजगारी दर 2022-23 में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई। श्रम मंत्रालय ने पीएलएफएस के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान श्रमबल का हिस्सा बनने वाले लोगों की तुलना में रोजगार के अधिक अवसर पैदा हुए हैं, जिससे बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आई है। यह रोजगार पर सरकारी नीतियों के सकारात्मक प्रभाव का स्पष्ट संकेत देता है।

सही आंकड़ों का हो उपयोग

बयान के मुताबिक, सिटीग्रुप की रिपोर्ट के उलट आधिकारिक आंकड़े भारतीय नौकरी बाजार की अधिक आशावादी तस्वीर दिखाते हैं। मंत्रालय ने कहा कि कारोबार सुगमता, कौशल विकास को बढ़ाने और सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों में रोजगार सृजन के सरकारी प्रयासों से औपचारिक क्षेत्र के रोजगार को भी बढ़ावा मिल रहा है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘मीडिया जिन निजी आंकड़ों को अधिक विश्वसनीय बताता है, उनमें कई खामियां होना सर्वविदित है। इन सर्वेक्षणों में रोजगार-बेरोजगारी की अपनी ईजाद की हुई परिभाषा का उपयोग किया जाता है जो राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है।’’ इसने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में ऐसे निजी आंकड़ों पर निर्भरता भ्रामक निष्कर्षों को जन्म दे सकती है लिहाजा इसका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।

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