मोदी सरकार ने देशभर के मनरेगा श्रमिकों को राहत देते हुए आधार बेस्ड पेमेंट सुविधा की समय सीमा को बढ़ा दिया है। सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, आधार बेस्ड पेमेंट सुविधा (एबीपीएस) की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। केंद्र ने इस साल फरवरी में घोषणा की थी कि योजना के तहत भुगतान में फर्जी पहचान और अनियमितताओं को रोकने के लिए मनरेगा श्रमिकों को एबीपीएस के आधार पर मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बुधवार को कहा, "आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) की प्रगति की समीक्षा की गई है और वेतन भुगतान का मिश्रित मार्ग (एनएसीएच और एबीपीएस मार्ग) 31 दिसंबर 2023 तक या अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया है।"
आधार नंबर उपलब्ध कराने का अनुरोध
मंत्रालय ने समय सीमा बढ़ाने का कारण बताते हुए कहा, ''केंद्र सरकार के संज्ञान में यह बात लाई गई है कि कई मामलों में लाभार्थी द्वारा बैंक खाता संख्या में बार-बार बदलाव करने और संबंधित कार्यक्रम अधिकारी द्वारा नई खाता संख्या अपडेट न करने के कारण जमा नहीं हो पाता है। लाभार्थी द्वारा समय पर नया खाता खोलने के कारण, गंतव्य बैंक शाखा द्वारा वेतन भुगतान के कई लेनदेन (पुराने खाता संख्या के कारण) अस्वीकार कर दिए जा रहे हैं।'' साथ ही उसने सभी राज्यों को स्पष्ट कर दिया है कि काम के लिए आने वाले लाभार्थियों से आधार नंबर उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाए, लेकिन इस आधार पर काम करने से इनकार नहीं किया जाएगा। जुलाई 2023 में, लगभग 88.51 प्रतिशत वेतन भुगतान एपीबीएस के माध्यम से किया गया था।
एपीबीएस से फर्जीवाड़ा रोकने में मिली मदद
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि एपीबीएस वास्तविक लाभार्थियों को उनका उचित भुगतान पाने में मदद कर रहा है और फर्जी लाभार्थियों को बाहर कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में सहायक है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि मनरेगा ने आधार-सक्षम भुगतान को नहीं अपनाया है, और कहा कि योजना ने एबीपीएस का विकल्प चुना है। यदि कोई लाभार्थी काम की मांग नहीं करता है, तो ऐसी स्थिति में एपीबीएस के लिए पात्रता के बारे में उसकी स्थिति काम की मांग को प्रभावित नहीं करती है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जॉब कार्ड को इस आधार पर नहीं हटाया जा सकता कि श्रमिक एपीबीएस के लिए पात्र नहीं है। कुल 14.33 करोड़ सक्रिय लाभार्थियों में से 13.97 करोड़ को आधार से जोड़ा जा चुका है। इन सीडेड आधार के मुकाबले, कुल 13.34 करोड़ आधार प्रमाणित किए गए हैं और 81.89 प्रतिशत सक्रिय कर्मचारी अब एपीबीएस के लिए पात्र हैं।
इनपुट: आईएएनएस