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'मेक इन इंडिया' अभियान को बड़ा बूस्ट, देश में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग 200 करोड़ यूनिट्स के पार निकला

सरकार अब भारत को 'सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग एंड एक्सपोर्ट हब' बनाने के लिए अपनी अलग-अलग योजनाओं पर जोर दे रही है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 14, 2023 15:01 IST, Updated : Aug 14, 2023 15:01 IST
मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग- India TV Paisa
Photo:FILE मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग

मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया' अभियान को बड़ी सफलता मिली है। देश में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का आंकड़ा 200 करोड़ यूनिट्स के पार कर ​गया है। काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार, मेक इन इंडिया' मोबाइल फोन शिपमेंट ने 2014-2022 के दौरान 2 अरब का आंकड़ा पार कर लिया, जिससे 23 प्रतिशत कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) दर्ज की गई। इसके साथ ही दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश बन गया है।

भारत मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का हब बना

काउंटरप्वाइंट के रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक ने कहा कि 2022 में, मोबाइल बाजार में 98 प्रतिशत से ज्यादा शिपमेंट 'मेक इन इंडिया' थे, जबकि 2014 में वर्तमान सरकार के सत्ता संभालने के समय यह केवल 19 प्रतिशत था। उन्होंने बताया कि भारत में लोकल वेल्यू एडिशन वर्तमान में आठ साल पहले के निम्न एकल अंक की तुलना में औसतन 15 प्रतिशत से अधिक है। कई कंपनियां मोबाइल फोन के साथ-साथ कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए देश में यूनिट्स स्थापित कर रही हैं, जिससे निवेश बढ़ रहा है, नौकरियां बढ़ रही हैं और समग्र इकोसिस्टम डेवलप हो रहा है। अब एप्पल भी भारत से अपने मोबाइल फोन के निर्यात करने जा रहा है। 

अब सरकार का जोर चिप निर्माण पर 

सरकार अब भारत को 'सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग एंड एक्सपोर्ट हब' बनाने के लिए अपनी अलग-अलग योजनाओं पर जोर दे रही है। इसके लिए सरकार कई तरह की रियायत दे रही है। हाल के दिनों में कई विदेशी कंपनी ने भारत में निवेश की दिलचस्पी दिखाई है। आपको बता दें कि भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने  चरणबद्ध मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम की शुरुआत की और लोकल मैन्युफैक्चरिंग और वेल्यू एडिशन को बढ़ावा देने के लिए पिछले कुछ सालों में पूरी तरह से निर्मित यूनिट्स और कुछ प्रमुख कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क बढ़ाया। सरकार ने मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग सहित 14 क्षेत्रों के लिए प्रोडक्शन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की। इन सबके चलते भारत से निर्यात बढ़ा है। आगे बढ़ते हुए सरकार का ध्यान भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने पर है। इसने एक सेमीकंडक्टर पीएलआई योजना प्रस्तावित की है और अब 1.4 ट्रिलियन डॉलर के प्रस्तावित निवेश के साथ बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है।

इनपुट: आईएएनएस

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