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Britain में महंगाई रिकाॅर्ड 10 फीसदी के पार पहुंची, यूरोप की अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका बढ़ी

Britain: रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में महंगाई साल के अंत तक और भी अधिक बढ़ सकती है। यह लोगों के बजट पर दबाव डालने के साथ आर्थिक सुस्ती को न्योता देगा।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 17, 2022 15:32 IST, Updated : Aug 17, 2022 15:32 IST
Britain Inflation - India TV Paisa
Photo:AP Britain Inflation

Britain की महंगाई दर जुलाई में बढ़कर 40 साल के नए उच्चतम 10.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। दरअसल, खाने-पीने के सामान के दाम बढ़ने और ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी के चलते महंगाई में यह उछाल आया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ओएनएस) ने बुधवार को कहा कि उपभोक्ता मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति दो अंकों में पहुंच गई है, जो जून में 9.4 प्रतिशत से अधिक थी। यह आंकड़ा विश्लेषकों के 9.8 प्रतिशत के पूर्वानुमान से अधिक है।

जरूरी सामान के बढ़े दाम

बयान के मुताबिक यह वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, ऊर्जा, टॉयलेट पेपर और टूथब्रश समेत रोजमर्रे की वस्तओं की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के चलते हुई। अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना ​​है कि आने वाले समय में महंगाई और बढ़ सकती है। बैंक ऑफ इंग्लैंड का कहना है कि प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से उपभोक्ता मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 13.3 प्रतिशत हो सकती है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई में बड़ा उछाल लोगों की खरीदारी क्षमता को प्रभावित करेगा। इससे यूरोप की अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका बढ़ सकती है।

महंगाई और बढ़ने की आशंका

रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में महंगाई साल के अंत तक और भी अधिक बढ़ सकती है। यह लोगों के बजट पर दबाव डालने के साथ आर्थिक सुस्ती को न्योता देगा। महगाई में यह वृद्धि यूरोप के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिल सकता है। यूरोप में महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह है कि रूस ने प्राकृतिक गैस की आपूर्ति रोक रखा है। इससे यूरोप के ज्यादातर देश प्रभावित हो रहे हैं। फलस्वरूप महंगाई बढ़ रही है। यूरोपीय संघ की सांख्यिकी एजेंसी द्वारा गुरुवार को जारी किए जाने वाले आंकड़ों के अनुसार यूरोज़ोन की मुद्रास्फीति की वार्षिक दर जुलाई में बढ़कर 8.9% हो जाएगी, जो जून में 8.6% थी। इसके विपरीत, अमेरिकी मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर 8.5% हो गई, जो जून में 9.1% थी। जानकारों का कहना है कि वैश्विक मुद्रास्फीति आने वाले दिनों मेें कम होगी। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है। कई वस्तुओं की कीमतें शिखर से नीचे आई हैं। कच्चे तेल के दाम में कमी आने से जरूरी सामानों के दाम कम होंगे।

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