श्रम विभाग की रिपोर्ट से पता चलता है कि अप्रैल की शुरुआत में लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ का अभी तक कई चीजों की कीमतों पर बहुत खास प्रभाव नहीं पड़ा है।
अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर लगभग 6 साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई, जिसका मुख्य कारण सब्जियों, फलों, दालों और अन्य प्रोटीन युक्त वस्तुओं की कीमतों में नरमी है, और यह रिजर्व बैंक के आरामदायक दायरे में बनी हुई है।
इस साल बेहतर मानसून होने की उम्मीद से किसानों की आय बढ़ सकती है। साथ ही महंगाई को काबू करने में मदद मिलेगी।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी 2025 में 2.38 प्रतिशत दर्ज की गई थी। आने वाले महीनों में भी महंगाई के तेवर नरम रहने की उम्मीद है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर मार्च में घटकर 2.05 प्रतिशत रह गई, जो फरवरी में 2.38 प्रतिशत थी।
महंगाई को नियंत्रण करने के साथ, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड वॉर के बीच नीति निर्माताओं ने आर्थिक विकास को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया है।
फरवरी, 2025 में मुद्रास्फीति की सकारात्मक दर मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों, खाद्य वस्तुओं, अन्य विनिर्माण, गैर-खाद्य वस्तुओं और वस्त्र निर्माण आदि के मूल्यों में वृद्धि के कारण है।
सरकार की तरफ से ताजा आंकड़ों में कहा गया है कि खुदरा महंगाई जनवरी के मुकाबले फरवरी में घटी। फरवरी में आई यह गिरावट चालू वित्तीय वर्ष में सिर्फ तीसरी बार है जब महंगाई की दर 4 प्रतिशत से नीचे आई है।
जनवरी 2025 में थोक महंगाई में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले महीने थोक महंगाई दर घटकर 2.31 प्रतिशत रही। बताते चलें कि इससे पिछले महीने यानी दिसंबर 2024 में थोक महंगाई दर 2.37 प्रतिशत दर्ज की गई थी। शुक्रवार को जारी किए गए सरकारी आंकड़ों से ये जानकारी मिली है।
सब्जियों की मुद्रास्फीति नवंबर में 28. 57 प्रतिशत के मुकाबले 28. 65 प्रतिशत रही। आलू की मुद्रास्फीति 93. 20 प्रतिशत पर उच्च स्तर पर बनी रही, और प्याज की दिसंबर में यह बढ़कर 16. 81 प्रतिशत हो गई।
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर आ गई, जबकि नवंबर में यह 5.48 प्रतिशत थी।
रिसर्च के अनुसार, 2050 तक उपभोक्ता खाद्य कीमतों में करीब तीन गुना की वृद्धि होगी। इससे तमाम खाने-पीने के सामान की कीमत काफी बढ़ जाएगी।
सब्जियों की महंगाई गिरावट के साथ 28.57 प्रतिशत रही, जबकि अक्टूबर में यह 63.04 प्रतिशत थी। हालांकि, आलू की महंगाई 82.79 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही, जबकि प्याज की महंगाई नवंबर में तीव्र गिरावट के साथ 2.85 प्रतिशत पर आ गई।
Inflation Rate in November : खुदरा महंगाई नवंबर में घटकर 5.48 प्रतिशत पर आ गई है। अक्टूबर में यह 6.21 प्रतिशत के स्तर पर थी।
अक्टूबर में आलू और प्याज की मुद्रास्फीति क्रमशः 78.73 प्रतिशत और 39.25 प्रतिशत पर उच्च स्तर पर रही। सब्जियों की मुद्रास्फीति 63.04 प्रतिशत रही, जबकि सितंबर में यह 48.73 प्रतिशत थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य वस्तुओं में मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 9.24 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी।
आरबीआई पेपर में यह स्पष्ट किया गया है कि पेपर केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, मौद्रिक नीति संचरण पर अध्ययन में पाया गया कि मौद्रिक नीति परिवर्तन दीर्घकालिक दरों की तुलना में अल्पकालिक ब्याज दरों को अधिक प्रभावित करते हैं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि कि फूड बास्केट में मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 9. 24 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 5. 66 प्रतिशत थी। एक साल पहले महीने में 6. 62 प्रतिशत थी।
उत्पादन में कमी के कारण दालों की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि ईंधन की कीमतों में इस साल की शुरुआत में कीमतों में कटौती के कारण 11 प्रतिशत की गिरावट आई है।
कृषि श्रमिकों (सीपीआई-एएल) और ग्रामीण मजदूरों (सीपीआई-आरएल) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में अगस्त 2024 में 7-7 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई।
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