दक्षिण भारत की अंडा राजधानी नमक्कल ने अपने उत्पादन को 6 करोड़ अंडे प्रति दिन से घटाकर 5 करोड़ कर दिया है क्योंकि चारे की कीमतें काफी बढ़ गई हैं।
इस हफ्ते पाकिस्तान में विपक्षी दलों, जिम्बॉब्वे में नर्सों, बेल्जियम में कामगारों, ब्रिटेन में रेलवे कर्मचारियों, इक्वाडोर में स्थानीय लोगों, अमेरिका में पायलटों और कुछ यूरोपीय एयरलाइंस के कर्मचारियों ने भी बढ़ती महंगाई के मुद्दे पर प्रदर्शन किए।
खुदरा मुद्रास्फीति मई में सालाना आधार पर 7.04 प्रतिशत बढ़ी, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 7.79 प्रतिशत था। दूसरी ओर थोक मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 15.88 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गई।
पिछले साल के मुकाबले अगर तुलना करें तो पोल्ट्री फीड की लागत 40 फीसदी बढ़ी है। वहीं, दूसरी ओर भीषण गर्मी के चलते बड़ी संख्या में मुर्गी व चूजा मर रहे हैं।
फिच ने कहा, मुद्रास्फीति आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है और सीपीआई की अधिक श्रेणियों में फैल गई है।
डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है और तीन महीनों से लगातार बढ़ रही है।
केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला लिया था, जिसके चलते माना जा रहा है कि माल ढुलाई पर लागत घटने से खुदरा महंगाई में कमी आई है।
US Inflation Rates: अमेरिकी श्रम विभाग ने शुक्रवार को मई, 2022 के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि पिछले महीने उपभोक्ता कीमतें एक साल पहले की तुलना में 8.6 प्रतिशत बढ़ गईं।
जिम्बाब्वे की मुद्रास्फीति बढ़कर 130 प्रतिशत से अधिक हो गई है। यूक्रेन-रूस युद्ध की शुरुआत से पहले जिम्बाब्वे की मुद्रास्फीति दर 66 प्रतिशत थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है।
जरूरी सामान की कीमतें जिस दर से बढ़ती है उसे महंगाई कहते हैं। भारत में, इसे साल-दर-साल मापा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद देश में पेट्रोल, डीजल, पीएनजी, सीएनजी और रसोई गैस के दाम तेजी से बढ़े हैं।
खाद, बिजली और डीजल की लागत को समायोजित करने पर खेती की लागत 8.9 प्रतिशत बढ़ी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले पांच सालों में कृषि संबंधी लागत में जमीन-आमसान से अंतर आ गया है।
कर्नाटक के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में चक्रवात से टमाटर की फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा है। इसके कारण कीमतें आसमान छू रही हैं।
डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 13वें महीने दोहरे अंक में बनी हुई है। समीक्षाधीन माह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.35 प्रतिशत थी।
इसके अलावा इन कंपनियों ने किसी उत्पाद के बड़े पैकेट के दाम में बढ़ोतरी की है। हालांकि, यह वृद्धि भी 10 प्रतिशत से कम की है।
सरकार की इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश के किस राज्य में महंगाई की मार सबसे ज्यादा है। वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां राष्ट्रीय औसत से महंगाई की दर काफी कम है।
वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से वैश्विक कारकों की वजह से बनी ऊंची मुद्रास्फीति की स्थिति लंबे समय कायम नहीं रहेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आसमान छूती महंगाई से राहत मिलती है तो यह सिर्फ गरीबों के लिए ही नहीं बल्कि अमीरों के लिए राहत की बात होगी।
क्रिसिल रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि उपज कम होने से जीरा के भाव 165-170 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा सकते हैं।
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