WPI RBI Repo Rate: थोक कीमतों पर आधारित महंगाई अप्रैल में घटकर 34 महीने के निचले स्तर शून्य से 0.92 प्रतिशत नीचे आ गई है। खाद्य, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में कमी से यह राहत मिली है। थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई में लगातार 11 महीनों से गिरावट जारी है और अप्रैल में यह शून्य से नीचे चली गई है। इससे पहले जून 2020 में डब्ल्यूपीआई महंगाई शू्न्य से 1.81 प्रतिशत नीचे थी। डब्ल्यूपीआई महंगाई मार्च में 1.34 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 15.38 प्रतिशत थी। खाद्य पदार्थों की महंगाई भी अप्रैल में घटकर 3.54 प्रतिशत रह गई, जो मार्च में 5.48 प्रतिशत थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि अप्रैल, 2023 में महंगाई की दर में गिरावट मुख्य रूप से बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, रासायनिक और रासायनिक उत्पादों, रबर और प्लास्टिक उत्पादों तथा कागज और कागज उत्पादों की कीमतों में कमी के चलते हुई है।
महंगाई की हवा टाइट
ईंधन और बिजली खंड की महंगाई मार्च में 8.96 प्रतिशत से घटकर अप्रैल में 0.93 प्रतिशत रह गई है। अप्रैल में विनिर्मित उत्पादों की महंगाई शून्य से 2.42 प्रतिशत नीचे थी, जबकि मार्च में यह 0.77 प्रतिशत थी। डब्ल्यूपीआई में गिरावट अप्रैल के महीने में खुदरा महंगाई में कमी के अनुरूप है। बता दें कि अप्रैल के महीने में भारत की खुदरा महंगाई में भी जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। वह 18 महीने के निचले स्तर 4.70 प्रतिशत पर आ गई है। शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि खुदरा महंगाई लगातार दूसरे महीने आरबीआई की सीमा के भीतर रही है। मार्च में भारत की हेडलाइन महंगाई 5.66 प्रतिशत थी। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) अप्रैल में घटकर 3.84 प्रतिशत रह गया, जबकि मार्च में यह 4.79 प्रतिशत था। इस बीच अप्रैल में ग्रामीण महंगाई 4.68 प्रतिशत और शहरी महंगाई 4.85 प्रतिशत रही।
RBI के एक फैसले का असर
महंगाई को बैंड के तहत रखने के लिए आरबीआई ने पिछले साल मई से रेपो दर में 2.50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी। आरबीआई की रेपो दर वर्तमान में 6.50 प्रतिशत है। पिछली बैठक में RBI ने रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला लिया था, जिसका असर अब देखा जा रहा है। मार्च में भारत का औद्योगिक उत्पादन 1.1 प्रतिशत बढ़ा, एनएसओ ने अलग से जारी आंकड़ों में कहा। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के संदर्भ में मापा गया कारखाना उत्पादन पिछले साल मार्च में 2.2 प्रतिशत बढ़ा। मार्च में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आउटपुट 0.5 फीसदी बढ़ा, जबकि इसी महीने माइनिंग सेक्टर का आउटपुट 6.8 फीसदी बढ़ा। मार्च में भारत का बिजली उत्पादन मार्च में 1.6 घट गया। वित्त वर्ष 2023 में, आईआईपी 2022-23 में 5.1 प्रतिशत बढ़ा, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह 11.4 प्रतिशत था।