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क्या चीन खोने वाला है आर्थिक महाशक्ति का ताज? ये आंकड़े दे रहे हैं ड्रैगन के पस्त होने की गवाही

चौथी तिमाही में चीनी अर्थव्यवस्था 4 फीसदी की दर से बढ़ी, जबकि तीसरी तिमाही में आर्थिक ग्रोथ की दर 4.9 फीसदी थी।

Sachin Chaturvedi Written by: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: January 17, 2022 17:34 IST
क्या चीन खोने वाला है...- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

क्या चीन खोने वाला है आर्थिक महाशक्ति का ताज? ये आंकड़े दे रहे हैं ड्रैगन के पस्त होने की गवाही

Highlights

  • विश्व बैंक के मुताबिक, 2022 में चीन की आर्थिक वृद्धि तेजी से धीमी होगी
  • विश्व बैंक ने अपने 2022 के पूर्वानुमान को भी 5.4 फीसदी से घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया
  • 1990 के बाद से चीन के लिए विकास की दूसरी सबसे धीमी गति को दर्शाता है

अमेरिका के बाद दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत चीन का सूरज क्या अस्त होने को है? यह अंदेशा चीन की ओर से आ रही खबरों और आंकड़ों से साफ पता चल रहे हैं। कोरोना संकट के दौरान जहां दुनिया की मजबूत अर्थव्यवस्थाएं चौपट हो गईं, वहीं इससे उलट चीन ने पॉजिटिव रिटर्न दिए। लेकिन इसके बाद के घटनाक्रम और चीनी सरकार की नीतियों ने खुद ही ऐसे रोड़े अटकाए, कि उड़ान भर रहा ड्रैगन पछाड़ खाता दिखाई दे रहा है। 

धीमी पड़ी ग्रोथ की रफ्तार 

नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (एनबीएस) द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, चीन की अर्थव्यवस्था पिछले साल 8.1 प्रतिशत की रफ्तार से ग्रोथ हासिल की है। दूसरी अर्थव्यवस्थाओं को देखते हुए यह भले ही अधिक लगे। लेकिन विश्वबैंक के अनुमान 8.5 के मुकाबले यह कम है। चौथी तिमाही में चीनी अर्थव्यवस्था 4 फीसदी की दर से बढ़ी, जबकि तीसरी तिमाही में आर्थिक ग्रोथ की दर 4.9 फीसदी थी। 

रियल्टी और टेक इंडस्ट्री की हिली नींव 

चीन की आर्थिक प्रगति में देश के रियल एस्टेट सेक्टर और आईटी सेक्टर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन 2021 में इन दोनों ही सेक्टर की नींव हिलती नजर आई। एक तरफ जहां बीजिंग के बाजार में सुस्ती छाई हुई है। वहीं एवरग्रेंड रियल एस्टेट समूह जैसी चीन की दूसरी सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनी भारी कर्ज संकट से जूझ रही है। एवरंग्राड पर दिवालिया होने का खतरा है। दूसर ओर अलीबाबा और टेनसेंट जैसे टेक दिग्गज कंपनियों पर शिकंजा कसने से यहां भी संकट पैदा हो गया है। इन संकट के चलते अब निवेशक भी चीन से किनारा काटने लगे हैं। 

अपनी ही सरकार की सताई इंडस्ट्री

चीन में 2021 आर्थिक संकट का साल रहा। इस संकट को पैदा करने में खुद चीन सरकार का हाथ रहा। सरकार ने प्रोपर्टी, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और कोयला क्षेत्रों पर कड़ी कार्रवाई की। दूसरी ओर चीन के श्रम बाजार में भारी असंतुलन है। कार्बन उत्सर्जन घटाने की उसकी नीति से बड़ी संख्या में मजदूरों की नौकरी गई है। कोचिंग उद्योग पर कार्रवाई से भी बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैँ।’ देश के कुल रोजगार का 26 फीसदी हिस्सा प्रोपर्टी सेक्टर में रहा है। इस सेक्टर के कर्ज संकट में फंस जाने से बेरोजगारी की समस्या और गंभीर होने की आशंका है।

फैक्ट्रियों में गिरा उत्पादन 

चीन के लिए सबसे बड़ी मुश्किल कारखाना क्षेत्र में आई मुश्किलें हैं। इस वर्ष बिजली संकट के कारण फैक्टरियों का उत्पादन गिरा है। इसे संभालना तब तक संभव नहीं है, जब तक चीन अपने ऊर्जा संकट को हल नहीं कर लेता। वहीं चिप संकट के कारण भी चीनी इलेक्ट्रॉनिक उद्योग क्षमता से कम पर काम कर रहा है। 

2022 के लिए गिरावट का अनुमान 

चीन में साल 2022 के भीतर अर्थव्यवस्था का विकास घटने का अनुमान है। विश्व बैंक के मुताबिक, 2022 में चीन की आर्थिक वृद्धि तेजी से धीमी होगी। उसे उम्मीद है कि चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एक साल पहले की तुलना में 2021 में 8 प्रतिशत का विस्तार होगा जो कि उसके पिछले पूर्वानुमानों से कम है। विश्व बैंक ने अपने 2022 के पूर्वानुमान को भी 5.4 फीसदी से घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया, जो 1990 के बाद से चीन के लिए विकास की दूसरी सबसे धीमी गति को दर्शाता है। 

विश्व बैंक ने जताई चिंता 

विश्व बैंक की मौजूदा रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के आर्थिक दृष्टिकोण के लिए नकारात्मक जोखिम बढ़ गए हैं। इसके पीछे एक कारण कोविड के ओमिक्रॉन वैरिएंट भी है। इसके अलावा प्रॉपर्टी सेक्टर में मंदी की स्थिति बनी रह सकती है। जिससे अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। इस बीच देश में कई कंपनियों ने भारी छंटनी भी शुरू कर दी है।

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