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चीन की अर्थव्यवस्था बर्बादी की ओर एक कदम और बढ़ी, अब एक साथ लगे दो झटके से हिला ड्रैगन

चीन के व्यापार में पिछले दो वर्षों से धीरे-धीरे गिरावट आई है। चीन की अर्थव्यवस्था कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद अर्थव्यवस्था उम्मीद से काफी पहले ही कमजोर पड़ गई है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: September 07, 2023 17:35 IST
चीन की अर्थव्यवस्था- India TV Paisa
Photo:FILE चीन की अर्थव्यवस्था

चीन की अर्थव्यवस्था लगातार गहरी मंदी की चपेट आती जा रही है। आयात और निर्यात के आंकड़ें ने चिंता और बढ़ा दी है। जानकारों का कहना है कि इससे यह संकेत मिलने जरूर लगे हैं कि चीन की अर्थव्यवस्था बर्बादी की ओर एक कदम और बढ़ गई है। दरअसल, चीन के निर्यात और आयात दोनों में अगस्त में सालाना आधार पर गिरावट आई है। यह कमजोर वैश्विक मांग को दर्शाता है जिससे पहले से ही धीमी पड़ी उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। गुरुवार को जारी सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में निर्यात सालाना आधार पर 8.8 प्रतिशत घटकर 284.87 अरब डॉलर रहा। आयात एक साल पहले की तुलना में 7.3 प्रतिशत घटकर 216.51 अरब डॉलर रहा। चीन का व्यापार अधिशेष 68.36 अरब डॉलर रहा, जो जुलाई में यह 80.6 अरब डॉलर था। 

अर्थव्यवस्था को दिए बूस्टर डोज से भी नहीं बनी बात

चीन के नेताओं ने हाल के महीनों में अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए कई नीतिगत उपाय किए, क्योंकि कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद अर्थव्यवस्था उम्मीद से काफी पहले ही कमजोर पड़ गई है। अधिकारियों ने अभी तक बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन खर्च या व्यापक कर कटौती से परहेज किया है। कैपिटल इकोनॉमिक्स के जूलियन इवांस-प्रिचर्ड ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘ भविष्य की बात करते तो लगता है कि साल के अंत तक निर्यात के बेहतर होने से पहले इसमें गिरावट आएगी।’’ चीन के व्यापार में पिछले दो वर्षों से धीरे-धीरे गिरावट आई है, हालांकि अगस्त में निर्यात तथा आयात में गिरावट जुलाई की तुलना में कम थी। 

अमेरिका से निर्यात और आयात दोनों घटा

अगस्त में निर्यात सालाना आधार पर 14.5 प्रतिशत, जबकि आयात 12.4 प्रतिशत कम रहा। सीमा शुल्क आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में निर्यात एक साल पहले की तुलना में 17.4 प्रतिशत गिरकर 45 अरब डॉलर हो गया, जबकि अमेरिकी वस्तुओं का आयात 4.9 प्रतिशत घटकर करीब 12 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। रूस से चीन का आयात (ज्यादातर तेल और गैस) एक साल पहले से 13.3 प्रतिशत बढ़कर 11.52 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। 

भारतीय कृषि-रसायन उद्योग में रहेगी शानदार तेजी 

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि भारत के कृषि-रसायन उद्योग में चीन से प्रतिस्पर्धा के बावजूद मौजूदा नौ प्रतिशत से अधिक बढ़ने की क्षमताएं हैं। चंद ने कहा कि कई पश्चिमी देश कृषि रसायनों के स्थान पर अब जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और भारतीय उद्योग को इस पहलू पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) से कृषि रसायनों के व्यापार को आसान बनाने पर एक प्रस्ताव लाने का आग्रह किया। नीति आयोग के सदस्य चंद ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में एसीएफआई की छठी वार्षिक आम बैठक के अवसर पर एक चर्चा के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘ कृषि रसायन उद्योग ने नौ प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है। इस वृद्धि दर का अधिकतर हिस्सा कोविड-19 वैश्विक महामारी के वर्षों के दौरान हासिल हुआ जब उत्पादन गतिविधियां गंभीर रूप से प्रभावित थीं।’’ चंद ने कहा कि आर्थिक और उत्पादन व्यवधानों के बावजूद घरेलू कृषि रसायन उद्योग ने 2017-18 और 2022-23 के बीच प्रभावशाली वृद्धि की। उन्होंने कहा, ‘‘ हम इस वृद्धि दर को आसानी से नौ प्रतिशत से अधिक भी बढ़ा सकते हैं।’’ 

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