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Year Ender 2022: दुनिया को 'ग्रीन' बनाने की उम्मीदों पर लगी 'कालिख', इस साल कोयले की खपत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची

Coal consumption in the world reached a record level this year: report 2022 में कोयले के उपयोग में सिर्फ 1.2 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई है लेकिन इस वृद्धि ने कोयला खपत के 2013 के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इसे आठ अरब टन से अधिक के सर्वकालिक स्तर पर ला दिया है।

Sachin Chaturvedi Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: December 17, 2022 13:59 IST
Coal- India TV Paisa
Photo:AP Coal

दुनिया को प्रदूषण मुक्त बनाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की कोशिशें इस साल धूल में मिलती दिखाई दी हैं। अत्यधिक प्रदूषणकारी ईंधन माने जाने वाले कोयले की मांग में इस साल जबर्दस्त वृद्धि देखने को मिली है। यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप में गैस की किल्लत से लेकर कोरोना के बाद उत्पादों की बढ़ती मांग के चलते इस साल दुनिया भर में कोयले के इस्तेमाल का नया रिकॉर्ड बन सकता है। 

कोयले ने तोड़ा 2013 का रिकॉर्ड 

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2022 में कोयले के उपयोग में सिर्फ 1.2 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई है लेकिन इस वृद्धि ने कोयला खपत के 2013 के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इसे आठ अरब टन से अधिक के सर्वकालिक स्तर पर ला दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बदलाव को गति देने के मजबूत प्रयासों के अभाव में दुनिया की कोयले की खपत अगले वर्षों में समान स्तर पर रहेगी। 

बड़े मंचों पर ली गई कसमें टूटी 

दुनिया के बड़े मंचों से बीते दो दशकों में कई देशों ने पर्यावरण सुरक्षा और दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर स्थान बनाने के लिए सोलर, विंड जैसी ग्रीन एनर्जी के उपयोग की कसमें खाई थीं। लेकिन कोयले के बढ़ते उपयोग से ये कसमें टूटती नजर आ रही हैं। माना जा रहा है कि उभरती हुई एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में कोयले की 'मजबूत मांग' परिपक्व बाजारों में घटते उपयोग की भरपाई करेगी। मौजूदा सदी में वैश्विक तापवृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक स्थिर रखने के लिए कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधनों की खपत में भारी कटौती करने की जरूरत है। 

पेरिस समझौते को लागू करना अब कठिन 

विशेषज्ञों का कहना है कि साल 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करना अब कठिन होगा, क्योंकि दुनिया भर में औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से पहले ही 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक हो चुका है। आईईए ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ने से बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर निर्भरता बढ़ी है।

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