‘टॉरेफाइड चारकोल’ प्राकृतिक कोयले के समान होता है और बिजली उत्पादन के लिए तापीय बिजलीघरों में इसका ईंधन के साथ सफलतापूर्वक तरीके से मिश्रण किया जाता है।
2024-25 तक यानी अगले दो वर्षो तक सभी 29 खानों से उत्पादन शुरू होने की संभावना के साथ सरकार उम्मीद कर रही है।
कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023-24 में एक अरब टन से ज्यादा कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के अंतर्गत 290 खदानें संचालित हैं, जिनमें से 97 खदानें हर साल 10 लाख टन कोयले का उत्पादन करती हैं।
पिछले साल की पहल तिमाही में देश में गंभीर कोयला संकट पैदा हो गया था। देश के विभिन्न हिस्सों में कोयला परिवहन को लेकर गंभीर समस्याएं पैदा हुई थी। यहां पता चला कि सिर्फ रेल पर निर्भर रहते हुए कोयला पहुंचाने में कई समस्या हैं।
Coal consumption in the world reached a record level this year: report 2022 में कोयले के उपयोग में सिर्फ 1.2 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई है लेकिन इस वृद्धि ने कोयला खपत के 2013 के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इसे आठ अरब टन से अधिक के सर्वकालिक स्तर पर ला दिया है।
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सरकार ने इन पीएसयू से ऐसी सभी खदानों को वापस लेने का फैसला किया है, जिन्हें पांच से छह साल बीत जाने के बाद भी चालू नहीं किया गया।
देश में कोयले की कुल सप्लाई पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में 624.9 लाख टन था। इसकी तुलना में जुलाई, 2022 में यह आंकड़ा 8.51 प्रतिशत बढ़कर 678.1 लाख टन हो गया।
बिजली मंत्रालय ने सभी आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने का निर्देश दिया है।
कुछ कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों के लिए आयातित कोयले पर आने वाली उच्च लागत का भार उपभोक्ताओं पर डालने देने पर सहमति बनी है
इस वर्ष कोयला उत्पादन पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 15.77 करोड़ टन तक पहुंच गया है।
संगठन के अनुसार वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संसाधनों की बढ़ती कीमतों के बीच बिजली उत्पादक अपनी मांग को पूरा करने के लिए घरेलू कोयले की आपूर्ति को लेकर सरकार पर दबाव डालेंगे।
सितंबर में कुल कोयला आयात में नॉन-कोकिंग कोल का हिस्सा 92.2 लाख टन रहा। पिछले साल सितंबर में यह आंकड़ा 1.19 करोड़ टन रहा था। वहीं इस दौरान कोकिंग कोयले का आयात 45.8 लाख टन से घटकर 42.7 लाख टन पर आ गया।
ओएनजीसी का दूसरी तिमाही के दौरान शुद्ध लाभ 18,347.73 करोड़ रुपये रहा, वहीं कोल इंडिया को तिमाही के दौरान 2,936 करोड़ रुपये का लाभ हुआ।
सूत्र ने बताया कि बिजली संकट के बीच सूखे कोयले की निर्बाध आपूर्ति के कारण बकाया राशि में और उछाल आया है और बकाया राशि पहले ही लगभग 24,000-25,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
सरकार ने कोल इंडिया को नवंबर के अंत तक ताप बिजली घरों के पास कम से कम 18 दिन का कोयला भंडार सुनिश्चित करने को कहा है।
फिलहाल बिजली संयंत्रों के पास 5 दिन का कोयला भंडार है जिसके इसी हफ्ते में बढ़कर 6 दिन का होने की उम्मीद है। बीते 1 हफ्ते से कोयले के भंडार 2 लाख टन प्रति दिन से बढ़ रहे हैं
आधिकारिक बयान में कहा गया कि नौ दिनों से कोयले के भंडार में वृद्धि के साथ, बिजली संयंत्रों के पास पांच दिनों का भंडार उपलब्ध है, जो एक हफ्ते में बढ़कर 6 दिन का हो जायेगा
CEA के आंकड़ों के अनुसार 11 अक्टूबर को चार दिन से कम भंडार वाली परियोजनाओं की संख्या 69 थी। CEA 135 ताप बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति पर नजर रखता है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के ताजा आंकड़ों के अनुसार चार दिनों से कम कोयले वाले गैर-पिट हेड परियोजनाओं की संख्या 17 अक्टूबर को 61 थी, जबकि यह आंकड़ा 10 अक्टूबर को 70 और तीन अक्टूबर को 64 था।
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