Saturday, April 27, 2024
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ई-रुपया विदेश से पैसा भारत भेजने की लागत आधी कर देगा, आर्थिक मामलों के सचिव ने बताई पते की बात

सीबीडीसी या ई-रुपया एक डिजिटल टोकन है जो लीगल करेंसी (वैध मुद्रा) का प्रतिनिधित्व करता है। भारत में विदेश से सालाना लगभग 100 अरब डॉलर धन भेजा जाता है।

Sourabha Suman Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: December 08, 2023 21:05 IST
सीमापार से भुगतान की बहुत सक्षम सिस्टम फिलहाल नहीं है।- India TV Paisa
Photo:INDIA TV सीमापार से भुगतान की बहुत सक्षम सिस्टम फिलहाल नहीं है।

ई-रुपी के महत्व को लेकर शुक्रवार को वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (सीबीडीसी) यानी ई-रुपया विदेश से भारत पैसे भेजने (रेमिटेंस) की लागत को आधा कर दो-तीन प्रतिशत तक ला सकता है। भाषा की खबर के मुताबिक, सेठ ने उद्योग मंडल फिक्की के सालाना कार्यक्रम में कहा कि सीबीडीसी का इस्तेमाल व्यापार, रेमिटेंस या किसी दूसरे सीमापार पेमेंट के लिए किया जा सकता है।

फिलहाल सीमापार से भुगतान की बहुत सक्षम सिस्टम नहीं

खबर के मुताबिक, आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा कि फिलहाल सीमापार से भुगतान की बहुत सक्षम सिस्टम नहीं है, इसमें समय लगता है। साथ ही लागत भी इसका एक अहम कम्पोनेंट है। ई-रुपया एक डिजिटल टोकन है जो लीगल करेंसी (वैध मुद्रा) का प्रतिनिधित्व करता है। इसे कागजी मुद्रा और सिक्कों के समान मूल्य-वर्ग में जारी किया जा रहा है। इसे बैंकों के जरिये डिस्ट्रीब्यूट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में विदेश से सालाना लगभग 100 अरब डॉलर धन भेजा जाता है।

केंद्रीय बजट 2022-23 में ई-रुपी की हुई शुरुआत

ग्लोबल लेवल पर आठ-नौ प्रतिशत लागत के मुकाबले भारत में प्रत्येक लेनदेन मूल्य के पांच प्रतिशत से भी कम लागत आती है। खबर के मुताबिक, सेठ ने कहा कि सीमा पार भुगतान पर आने वाली लागत को दो-तीन प्रतिशत तक लाने में सीबीडीसी बेहद कारगर हो सकता है। सीबीडीसी की शुरुआत की घोषणा केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। आरबीआई ने सीबीडीसी की पायलट थोक परियोजना 1 नवंबर, 2022 को शुरू की थी जबकि खुदरा संस्करण पर पायलट परीक्षण 1 दिसंबर, 2022 को शुरू किया गया था।

बता दें, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस), राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) और साझेदार बैंकों के साथ मिलकर एक यूनिक डिजिटल सॉल्यूशन 'ई-रुपी' लॉन्च किया है। यह संपर्क रहित ई-आरयूपीआई आसान, सुरक्षित और संरक्षित है क्योंकि यह लाभार्थियों के डिटेल को पूरी तरह से प्राइवेट रखता है।

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