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नौकरी ढूंढ रहे युवाओं के लिए अच्छी खबर, शहरों में बढ़े रोजगार के मौके, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) 15 वर्ष से अधिक के आयु के लोगों में रोजगार की दर का एक अहम इंडिकेटर है। यह अप्रैल-जून 2024 में बढ़कर 46.8 प्रतिशत हो गया जो कि पिछले साल समान अवधि में 45.5 प्रतिशत था।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 17, 2024 13:36 IST, Updated : Aug 17, 2024 13:36 IST
Youth - India TV Paisa
Photo:FILE युवा

भारत के शहरी इलाकों में श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर-15 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों) अप्रैल-जून 2024 के बीच बढ़कर 50.1 प्रतिशत हो गई जो कि पिछले वर्ष समान अवधि में 48.8 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा दिखाता है कि देश में रोजगार में बढ़ोतरी हो रही है। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया कि 15 वर्ष या उससे अधिक की आयु के पुरुषों में एलएफपीआर अप्रैल-जून 2024 में बढ़कर 74.7 प्रतिशत हो गया है, जो कि अप्रैल-जून में 73.5 प्रतिशत था। वहीं, 15 वर्ष या उससे अधिक की आयु की महिलाओं में एलएफपीआर अप्रैल-जून 2024 में 25.2 प्रतिशत हो गया है, जो कि अप्रैल-जून 2023 में 23.2 प्रतिशत था।

बेरोजगारी में आई गिरावट 

श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) 15 वर्ष से अधिक के आयु के लोगों में रोजगार की दर का एक अहम इंडिकेटर है। यह अप्रैल-जून 2024 में बढ़कर 46.8 प्रतिशत हो गया जो कि पिछले साल समान अवधि में 45.5 प्रतिशत था। आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष या उससे अधिक की आयु के लोगों में बेरोजगारी दर अप्रैल-जून 2024 में 6.6 प्रतिशत थी। 15 वर्ष या उससे अधिक की आयु के पुरुषों में बेरोजगारी दर अप्रैल-जून 2023 के 5.9 प्रतिशत के मुकाबले अप्रैल-जून 2024 में घटकर 5.8 प्रतिशत रह गई है। वहीं, 15 वर्ष या उससे अधिक की महिलाओं में बेरोजगारी दर अप्रैल-जून 2024 में 9 प्रतिशत थी, यह आंकड़ा अप्रैल-जून 2023 में 9.1 प्रतिशत था।

रोटेशनल पैनल सैम्पलिंग डिजाइन का इस्तेमाल

मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में डेटा को एकत्रित करने के लिए रोटेशनल पैनल सैम्पलिंग डिजाइन का उपयोग किया गया है। श्रम बल के आंकड़ों के महत्व को देखते हुए राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की ओर से आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) अप्रैल 2017 में लॉन्च किया गया था। पीएलएफएस के दो मुख्य उद्देश्य थे। पहला उद्देश्य शहरी इलाकों में तीन महीने की छोटी अवधि के रोजगार और बेरोजगारी के अहम आंकड़े जैसे - श्रम बल भागीदारी दर और श्रमिक जनसंख्या अनुपात के आंकड़ों को एकत्रित करना। दूसरा उद्देश्य सालाना ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 'सामान्य स्थिति' और 'करंट वीकली स्टेटस' सीडब्ल्यूएस दोनों में रोजगार और बेरोजगारी इंडिकेटर का अनुमान लगाना।

इनपुट: आईएएनएस

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