Windfall Tax Zero: सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर को घटाकर शून्य कर दिया है। इसके अलावा डीजल और विमान ईंधन के निर्यात पर इस कर की शून्य दर जारी रखी गई है। सरकार ने सोमवार को एक आधिकारिक आदेश में कहा कि ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) को घटाकर 4,100 रुपये प्रति टन कर दिया है। नयी दर मंगलवार से प्रभावी है। बता दें कि यह दूसरी बार है जब घरेलू रूप से उत्पादित तेल के लिए अप्रत्याशित लाभ कर को घटाकर शून्य कर दिया गया है। इससे आम जनता को कोई फायदा नहीं होता है।
पिछले साल ही दबा था बटन
इस लेवी की पेशकश पिछले साल जुलाई में की गई थी। इससे पहले अप्रैल की शुरुआत में कर को शून्य कर दिया गया था, लेकिन उस महीने के दूसरे पखवाड़े में इसे बढ़ाकर 6,400 रुपये प्रति टन कर दिया गया। डीजल के निर्यात पर लेवी को चार अप्रैल को शून्य कर दिया गया था और यह उसी स्तर पर बनी हुई है। इसी तरह, विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर लेवी भी चार मार्च से शून्य बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव घटकर 75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गए हैं, जिसके बाद अप्रत्याशित लाभ कर में कटौती की गई। बता दें कि पिछले एक साल से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
क्या होता है विंडफॉल टैक्स?
विंडफॉल टैक्स सिर्फ कुछ समय के लिए सरकार ऐसी कंपनियों पर लगाती है जो किसी खास हालात के चलते रिकॉर्ड प्रॉफिट कमा रही हो। रूस-यूक्रेन यूद्ध के दौरान क्रूड तेल की कीमत 139 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी। यह पिछले 14 साल के सबसे उच्चतम स्तर था। यह बेहद सामान्य सी बात है कि किसी भी कंपनी को सबसे अधिक प्रॉफिट तब होता है जब उसके प्रोडक्ट की कीमत किसी कारणवश अचानक से बढ़ जाए और उसके चलते उसकी कीमत में बढ़ोतरी हो जाए। रूस-यूक्रेन यूद्ध में तेल कंपनियों के साथ ऐसा ही हुआ। इन कंपनियों के मुनाफे को लेकर एक बार देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार को बेहद खुशी हो रही है कि कंपनियां अच्छी प्रॉफिट कमा रही हैं, लेकिन सरकार चाहती है कि उसमें से एक हिस्सा देश की आम जनता के लिए उनसे वसूला जाए और फिर ऐसे सरकार ने विंडफॉल टैक्स को इम्पोज कर दिया।