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बैंकों के निजीकरण को लेकर रिजर्व बैंक ने दी चेतावनी, सरकार को दी ये सलाह

सरकार ने 2020 में 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों का चार बड़े बैंकों में विलय कर दिया था। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई है, जो 2017 में 27 थी।

Indiatv Paisa Desk Written By: Indiatv Paisa Desk
Published on: August 19, 2022 19:26 IST
RBI- India TV Paisa
Photo:FILE RBI

साल 2020 में देश के 10 बड़े सरकारी बैंकों को 4 बैंकों में विलय के फैसले के बाद अब सरकार निजीकरण की ओर बढ़ रही है। सरकार की इस जल्दबाजी पर बैंकों के बैंक यानि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने चिंता जताई है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि बेहतर परिणाम के लिये बड़े पैमाने के बजाय बैंकों के धीरे-धीरे निजीकरण का रुख अच्छा है। 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि बुलेटिन में प्रकाशित शोध पत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के धीरे-धीरे विलय के समर्थन की बात उसके विचार नहीं है बल्कि यह लेखकों की अपनी सोच है। शोध पत्र आरबीआई बुलेटिन के अगस्त अंक में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है, ‘‘सरकार के निजीकरण की ओर धीरे-धीरे बढ़ने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि वित्तीय समावेश के सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने में एक ‘शून्य’ की स्थिति नहीं बने।’’ 

विजय से बैंकिंग सेक्टर में आई मजबूती 

रिजर्व बैंक ने कहा है कि हाल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बड़े स्तर पर विलय से क्षेत्र में मजबूती आई है। इससे मजबूत और प्रतिस्पर्धी बैंक सामने आए हैं। गौरतलब है कि सरकार ने 2020 में 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों का चार बड़े बैंकों में विलय कर दिया था। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई है, जो 2017 में 27 थी। 

जल्दबाजी के फायदे से ज्यादा नुकसान 

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बड़े पैमाने पर निजीकरण से फायदे से अधिक नुकसान हो सकता है। सरकार पहले ही दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा कर चुकी है। इस तरह तरह धीरे-धीरे निजीकरण की ओर बढ़ने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि वित्तीय समावेश और मौद्रिक नीति का लाभ लोगों तक पहुंचाने के सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने में एक ‘शून्य’ की स्थिति नहीं बने।’’ इस प्रकार, शोधकर्ताओं का विचार है कि बड़े स्तर पर विलय के बजाय सरकार ने जो धीरे-धीरे इस ओर कदम बढ़ाने के रुख की घोषणा की है, उसके बेहतर नतीजे होंगे। 

लाभ कमाने में निजी बैंक ज्यादा कुशल 

‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरणः एक वैकल्पिक नजरिया’ शीर्षक से प्रकाशित लेख में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के बैंक लाभ को अधिकतम करने में ज्यादा कुशल हैं। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने में बेहतर प्रदर्शन किया है।

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