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कचरे से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की तैयारी, इस कंपनी से पूणे नगर निगम ने मिलाया हाथ

एक तरफ जहां सरकार हजारों करोड़ रुपये ग्रीन हाइड्रोजन को तैयार करने के लिए निवेश कर रही है वहीं दूसरे तरफ पूणे नगर निगम कचरे से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का प्लान पेश कर रहा है।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: January 09, 2023 19:53 IST
कचरे से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की तैयारी, यहां हुई डील- India TV Paisa
Photo:FILE कचरे से ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की तैयारी, यहां हुई डील

इसी महीने केंद्र सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए एक नए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। उसके बाद से पूणे नगर निगम द्वारा ये घोषणा किया गया है कि वह द ग्रीनबिलियंस लिमिटेड (टीजीबीएल) के सहयोग से बायोमास और नगरपालिका के ठोस कचरे का इस्तेमाल ग्रीन हाइड्रोजन निकालने के मकसद से करेगी और इसके लिए वह भारत में पहला संयंत्र भी स्थापित करेगी। 

30 साल के लिए हुआ ये समझौता

टीजीबीएल की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी वैरिएट पुणे वेस्ट टू एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (वीपीडब्ल्यूटीईपीएल) ने अगले 30 साल के लिए ये समझौता किया है। इस अवधि तक हाइड्रोजन पैदा करने के लिए पुणे के 350 टीपीडी नगरपालिका कचरे का प्रबंधन और उपयोग कंपनी करेगी।

कचरे से साफ-सुथरा हाइड्रोजन निकालना उद्देश्य

इस परियोजना का उद्देश्य नगरपालिका के ठोस कचरे से साफ-सुथरा हाइड्रोजन निकालना है। कंपनी भविष्य में इसी तरह के संयंत्रों को लागू करने और स्थापित करने के लिए भारत भर में अन्य राज्यों की नगर पालिकाओं के साथ भी चर्चा कर रही है।

ये विभाग देगा काम की जानकारी

ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बीईसीआईएल) भारत सरकार का एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम है जो परियोजना प्रबंधन के बारे में जानकारी प्रदान करेगा और द ग्रीनबिलियंस लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी वेरिएट पुणे वेस्ट टू एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड पुणे की नगरपालिका के रीसाइक्लिंग योग्य कचरे को हाइड्रोजन में परिवर्तित करने के लिए परियोजना लागू करेगी।

इस टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बनेगा हाइड्रोजन

कचरे से प्राप्त अपशिष्ट ईंधन (आरडीएफ) का बाद में प्लाज्मा गैसीकरण टेक्नोलॉजी का उपयोग करके हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाएगा। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के साथ मिलकर इस तकनीक को विकसित किया गया है।

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