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तेल कंपनियों को 18,480 करोड़ रुपये का घाटा, 12-14 रुपये प्रति लीटर के नुकसान पर बेचने को मजबूर

Petrol Diesel Price: पहली तिमाही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखने की वजह से कुल 18,480 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: August 07, 2022 18:26 IST
तेल कंपनियों को 18,480...- India TV Paisa
Photo:AP तेल कंपनियों को 18,480 करोड़ रुपये का घाटा

Highlights

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से लागत बढ़ी
  • प्रति बैरल कच्चे तेल पर करीब 23-24 डॉलर का नुकसान
  • सरकार ने दी है कंपनियों को संशोधन की छूट

Petrol Diesel Price: देश में महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पेट्रोल-डीजल(Petrol Diesel) के दाम भी काफी ज्यादा हो गए हैं। ऐसे में जनता की स्थिति त्राहिमाम करने की हो गई है। तेल कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे कच्चे तेल (Crude Oil) खरीदने के चलते नुकसान उठाना पड़ रहा है। पहली तिमाही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखने की वजह से कुल 18,480 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

महंगाई के दबाव में नहीं बढ़ा रहे दाम

देश की तीन बड़ी तेल कंपनियों की तरफ से शेयर बाजारों को दी गई जानकारी के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाने की वजह से उनका घाटा काफी बढ़ गया है। ऐसा उनके मार्केट मार्जिन में गिरावट आने के कारण हुआ है। पेट्रोल-डीजल के अलावा घरेलू एलपीजी के मार्केट मार्जिन में कमी आने से इन पेट्रोलियम कंपनियों को बीती तिमाही में हुआ तगड़ा रिफाइनिंग मार्जिन भी घाटे में जाने से नहीं बचा पाया है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) को लागत के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रतिदिन बदलाव करने का अधिकार मिला हुआ है, लेकिन बढ़ती खुदरा महंगाई के दबाव में चार महीने से पेट्रोलियम उत्पादों के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से लागत बढ़ी

इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से इन कंपनियों की लागत भी बढ़ गई है। इन कंपनियों ने रसोई गैस की एलपीजी दरों को भी लागत के अनुरूप नहीं बदला है। आईओसी ने 29 जुलाई को कहा था कि अप्रैल-जून तिमाही में उसे 1,995.3 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। एचपीसीएल ने भी शनिवार को इस तिमाही में रिकॉर्ड 10,196.94 करोड़ रुपये का घाटा होने की सूचना दी जो उसका किसी भी तिमाही में हुआ सर्वाधिक घाटा है। इसी तरह बीपीसीएल ने भी 6,290.8 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है। इस तरह इन तीनों सार्वजनिक पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को एक तिमाही में मिलकर कुल 18,480.27 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है जो किसी भी तिमाही के लिए अब तक का रिकॉर्ड है। 

प्रति बैरल कच्चे तेल पर करीब 23-24 डॉलर का नुकसान

दरअसल, पिछली तिमाही में आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने बढ़ती लागत के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संशोधन नहीं किया ताकि सरकार को सात प्रतिशत से अधिक चल रही महंगाई पर काबू पाने में मदद मिल सके। पहली तिमाही में कच्चे तेल का आयात औसतन 109 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के भाव पर किया गया था। हालांकि खुदरा बिक्री की दरों को लगभग 85-86 डॉलर प्रति बैरल की लागत के हिसाब से तय किया गया था। इस तरह तेल कंपनियों को प्रति बैरल कच्चे तेल पर करीब 23-24 डॉलर का नुकसान खुद उठाना पड़ा। 

सरकार ने दी है कंपनियों को संशोधन की छूट

हालांकि सरकार ने कहा है कि तेल कंपनियां खुदरा कीमतों में संशोधन के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन छह अप्रैल से अब तक खुदरा बिक्री दरों में कोई बदलाव नहीं किए जाने की ठोस वजह सरकार नहीं बता पाई है। एक पहलू तो यह है कि राजनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण चुनावों से पहले तेल कीमतों को स्थिर रखा गया है। इन तीनों कंपनियों ने पिछले साल उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले दरों में संशोधन करना बंद कर दिया था। वह दौर 137 दिनों तक चला था और अप्रैल के पहले हफ्ते के बाद से फिर से चालू है। हालांकि सरकार ने मई में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी, लेकिन उसका लाभ खुदरा उपभोक्ताओं को मिला था।

उत्पाद शुल्क में कटौती के कारण हुई कमी को छोड़कर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर मौजूदा रोक अब 123 दिन पुरानी है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने पेट्रोल और डीजल को 12-14 रुपये प्रति लीटर के नुकसान पर बेचा जिससे तिमाही के दौरान उनका राजस्व प्रभावित हुआ है।

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