Highlights
- इन्फोसिस ने पिछले 12 महीने में ऐसा करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
- नौकरी से निकाले गये कर्मचारियों की संख्या की जानकारी नहीं दी
- विप्रो ने भी ‘मूनलाइटिंग’ के कारण 300 कर्मचारियों को कंपनी से निकाला
कोरोना संकट खत्म होने के साथ ही वर्क फ्रॉम होम की प्रथा भी खत्म होती जा रही है। लेकिन इस वर्क फ्रॉम होम के साथ शुरू हुई ‘मूनलाइटिंग’ की आदत ने आईटी कंपनियों को परेशान कर दिया है। ‘मूनलाइटिंग’ यानी एक साथ दो जगह काम करने को लेकर कंपनियों के एचआर विभाग काफी एक्टिव भी हैं। इस बीच देश की अग्रणी आईटी कंपनी ने बताया कि उसने एक साल के भीतर ‘मूनलाइटिंग’ में लिप्त कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।
इन्फोसिस ने साफ किया कि कंपनी ‘मूनलाइटिंग’ यानी एक साथ दो जगह काम करने का समर्थन नहीं करती है। कंपनी ने यह भी कहा कि उसने पिछले 12 महीने में ऐसा करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से निकाला भी है। जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही कोई अन्य काम भी करता है तो उसे ‘मूनलाइटिंग’ कहा जाता है।
कितने कर्मचारियों को निकाला गया?
इन्फोसिस ने ‘मूनलाइटिंग’ के कारण नौकरी से निकाले गये कर्मचारियों की संख्या की जानकारी नहीं दी। इन्फोसिस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सलिल पारेख ने बृहस्पतिवार को कंपनी के दूसरी तिमाही के वित्तीय परिणाम की घोषणा के दौरान कहा कि कंपनी एक साथ दो नौकरी करने का समर्थन नहीं करती है। पारेख ने कहा, ‘‘हम नौकरी के साथ दूसरा काम करने का समर्थन नहीं करते हैं। पूर्व में जो कर्मचारी दो काम करते पाये गये और जहां गोपनीयता का मुद्दा था, हमने वहां कार्रवाई की।’’
विप्रो ने 300 कर्मचारियों को निकाला
इन्फोसिस उन कंपनियों में शामिल है, जिसने ‘मूनलाइटिंग’ के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। पिछले महीने, विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने कहा था कि ‘मूनलाइटिंग’ के कारण 300 कर्मचारियों को कंपनी से निकाला गया है। उन्होंने साफ कहा था कि कंपनी में ऐसे कर्मचारियों के लिये कोई जगह नहीं है, जो प्रतिद्वंद्वी कंपनी के लिये भी काम करे।