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Price Difference : UP में कम राजस्थान में ज्यादा कीमतें? जानिए अलग-अलग राज्यों में क्यों होता है महंगाई में अंतर

Price Difference : जून के महीने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित Inflation Rate तेलंगाना में 10.5 प्रतिशत रही जबकि बिहार में यह सिर्फ 4.7 प्रतिशत रही।

Indiatv Paisa Desk Written By: Indiatv Paisa Desk
Published on: July 24, 2022 17:03 IST
UP Raj Price - India TV Paisa
Photo:FILE UP Raj Price

Highlights

  • स्थानीय शुल्कों एवं आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े मसले उपभोक्ता कीमतों में फर्क पैदा करते हैं
  • June में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति दर तेलंगाना में 10.5% जबकि बिहार में 4.7% रही
  • परिवहन लागत, राज्य सरकारों की अलग-अलग कर नीतियों और आपूर्ति श्रृंखला फर्क का कारण

Price Difference : जीएसटी लागू होने से पहले जानकार यह कहकर इसकी वकालत करते थे कि जीएसटी लागू होने के बाद 'वन नेशन वन रेट' यानि पूरे देश में एक जैसी कीमतें होंगे। लेकिन जीएसटी लागू होने के पांच साल बाद भी भारत में खुदरा मुद्रास्फीति राज्यों में काफी हद तक अलग होती है। हर कोई यही जानना चाहता है कि क्या सरकार या फिर विशेषज्ञों को एक जैसी कीमत होने का दावा गलत है या फिर इसके पीछे कुछ और ही पेंच है। आइए जानते हैं कि यूपी, एमपी या फिर अन्य राज्यों की कीमतों में इतना अंतर क्या आ जाता है। 

क्या है कीमतें अलग होने की वजह 

कीमतों में अंतर की वजह यह है कि स्थानीय शुल्कों एवं आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े मसले उपभोक्ता कीमतों में फर्क पैदा करते हैं। जून के महीने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दर तेलंगाना में 10.5 प्रतिशत रही जबकि बिहार में यह सिर्फ 4.7 प्रतिशत रही। इसका राष्ट्रीय औसत 7.01 प्रतिशत था। विशेषज्ञों का मानना है कि राज्यों के बीच मुद्रास्फीति के इस फर्क के लिए परिवहन लागत, राज्य सरकारों की अलग-अलग कर नीतियों और आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। 

इन राज्यों में 8 प्रतिशत से अधिक महंगाई 

नवीनतम सीपीआई आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश और हरियाणा समेत कुछ राज्यों में मुद्रास्फीति आठ प्रतिशत से अधिक रही। राष्ट्रीय औसत से ज्यादा मुद्रास्फीति वाले राज्यों में असम, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल भी शामिल थे। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू- कश्मीर में भी मुद्रास्फीति 7.2 प्रतिशत थी। वहीं उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक, झारखंड और छत्तीसगढ़ में मुद्रास्फीति जून के महीने में राष्ट्रीय औसत से कम थी। तमिलनाडु, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और केरल में तो खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से भी कम रही। 

परिवहन लागत में 60 फीसदी हिस्सा डीजल का

ऑल इंडिया कनफेडरेशन ऑफ गुड्स व्हीकल ओनर्स एसोसिएशन के महासचिव राजिंदर सिंह ने कहा कि परिवहन लागत का 40-60 प्रतिशत हिस्सा डीजल का होता है। ऐसे में डीजल के दाम ऊंचे रहने का सीधा असर उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘परिवहन लागत निर्धारित करने में टोल एक और अहम कारक है। एक मार्ग पर टोल प्लाजा की संख्या जितनी अधिक होगी, आपूर्ति की लागत उतनी ही ज्यादा हो जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि सब्जी जैसी जल्द खराब होने वाली चीजों के परिवहन के लिए वाहन मालिक दोनों तरफ का किराया वसूलते हैं जबकि लंबी दूरी के लिए केवल एकतरफा किराया ही लिया जाता है। 

पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में अंतर 

उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मुख्य अर्थशास्त्री एस पी शर्मा ने कहा कि मुद्रास्फीति में राज्यों के बीच की भिन्नता मूलतः राज्यों की अलग आर्थिक गतिशीलता और नीतिगत परिवेश विशिष्टताओं से जुड़ी हुई है। शर्मा ने कहा, ‘‘कुछ राज्यों में पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले शुल्क में भिन्नता होने से कीमतों पर ज्यादा दबाव देखा जा रहा है। राज्यों के बीच ईंधन शुल्क में फर्क होने से राज्यों की मुद्रास्फीति पर ईंधन कीमतों का असर भी अलग-अलग होता है।’’ 

ग्रामीण महंगाई का भी असर 

एक और अहम बिंदु यह है कि राज्यों में ग्रामीण मुद्रास्फीति का फर्क अधिक होता है और लगभग सभी राज्यों में यह अमूमन शहरी मुद्रास्फीति से अधिक होती है। ग्रामीण भारत के गैर-सरकारी संगठनों के महासंघ (सीएनआरआई) के महासचिव और हाल ही में गठित एमएसपी समिति के सदस्य विनोद आनंद ने कहा कि मुद्रास्फीति की भिन्नता राज्यों में जीवनयापन की लागत पर भी निर्भर करती है जो राज्य सरकार के नेतृत्व और नीतियों से तय होती है। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दक्षता भी संभावित कारणों में से एक है।

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