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बिहारी मखाने का देश-विदेश में बेचने का शुरू करें कारोबार, इस तरह लाखों में होगी कमाई

बिहार के दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया सहित 11 जिलों में मखाना की खेती होती हैं।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: December 04, 2022 14:05 IST
मखाना की खेती- India TV Paisa
Photo:FILE मखाना की खेती

बिहार के मिथिलांचल के मखाना की दीवानगी न केवल देश में बल्कि विदेशों से भी जुड़ी हुई है। वैज्ञानिक मखाना को लेकर नए-नए शोध कर नई प्रजाति विकसित कर रहे हैं, जिससे किसानों को लाभ भी हो रहा है। आपको बता दें कि  देश भर में मखाने के कुल उत्पादन का 90 प्रतिशत बिहार के मिथिलांचल में होता है। मखाना अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. इंदु शेखर सिंह कहते हैं कि नई तकनीक से मखाना की पैदावार बढ़ी है। हालांकि, यहां के मखाने को सही ढंग से बाजार नहीं उपलब्ध होने के कारण किसानों को वह लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में अगर आप कोई नया कारोबार शुरू करने की सोच रहें है तो बिहारी मखाने को देश-विदेश में बेचने का कारोबार शुरू कर सकते हैं। यह काम आप कम पूंजी में कर लाखों में कमाई भी कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे...

200 रुपये से 300 रुपये प्रति किलो कीमत

बिहार में मखाना की खेती करने वाले किसान अपने मखाने को 200 रुपये से 300 रुपये प्रति किलो में बेच रहे हैं। वहीं, अगर आप अमेजन-फ्लिपकार्ट पर देंखे तो 100 ग्राम मखाने की कीमत 190 रुपये से 200 रुपये तक किया गया है। आप खुद सोच सकते हैं  कि कितना जबरदस्त मार्जिन लिया जा रहा है। ऐसे में अगर आप सीधे किसान से मखाना खरीद कर दिल्ली-एनसीआर के मार्केट में पैकेजिंग कर बेचते हैं तो अच्छी कमाई कर सकते हैं। बिहारी मखाने की मांग सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। ऐसे में आप यह कारोबार विदेश तक आसानी से फैला सकते हैं। 

बिहार के 11 जिलों में मखाने की खेती 

बिहार के दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया सहित 11 जिलों में मखाना की खेती होती हैं। आंकडों के मुताबिक, बिहार की 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना की खेती होती है। बिहार के दरभंगा क्षेत्र में मखाना उत्पादन को देखते हुए मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थपना की गई। इस केंद्र के स्थापित होने के बाद मखाना की खेती में बदलाव जरूर आया है। सिंह ने बताया कि मखाना की खेती पारंपरिक रूप से तालाबों में की जाती है लेकिन अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने नई प्रजाति 'स्वर्ण वैदेही' विकसित किया है, जिससे किसानों को लाभ हो रहा है।

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