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सुप्रीम आदेश ने बढ़ाई मुकेश अंबानी की दुनिया में साख, अब परिंदा भी नहीं मार पाएगा पर

Mukesh Ambani News: मुकेश अंबानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के तरफ से एक अच्छी खबर आई है। अब कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि उनकी सुरक्षा का ध्यान रखे। आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्या कह दिया कि सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: March 01, 2023 11:28 IST
Supreme Court Mukesh Ambani- India TV Paisa
Photo:INDIA TV सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने बढ़ाई मुकेश अंबानी की दुनिया में साख

Supreme Court Mukesh Ambani News: मुकेश अंबानी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्देश दिया है। इसके बाद से उनकी साख और सुरक्षा दुनियाभर में बढ़ जाएगी। अब कोई परिंदा भी पर मारने से पहले उनकी सुरक्षा में लगे जवाने से परमिशन की गुहार करेगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी और उनके परिवार को देश भर में और विदेश यात्रा के दौरान एडवांस जेड प्लस सुरक्षा कवर प्रदान किया जाना चाहिए। जस्टिस कृष्ण मुरारी और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि प्रतिवादी संख्या 2 से 6 (अंबानी) को प्रदान की जाने वाली एडवांस जेड प्लस सुरक्षा पूरे भारत में उपलब्ध होगी और इसे महाराष्ट्र राज्य और गृह मंत्रालय द्वारा सुनिश्चित किया जाना है। जब अंबानी और उनकी फैमली विदेश यात्रा कर रहे हों तो भारत सरकार की नीति के अनुसार उच्चतम स्तर की जेड प्लस सुरक्षा भी प्रदान की जाए और इसे गृह मंत्रालय द्वारा सुनिश्चित किया जाए।

खर्च खुद वहन करेगा अंबानी ग्रुप

भारत या विदेश में अंबानी को उच्चतम स्तर का जेड प्लस कवर प्रदान करने का पूरा खर्च और लागत उनके द्वारा वहन की जाएगी। शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए उपरोक्त निर्देश पारित किया कि प्रतिवादी संख्या 2 से 6 को प्रदान किया गया सुरक्षा कवच विभिन्न स्थानों और अलग-अलग हाईकोर्ट में यह विवाद का विषय रहा है। अंबानी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि मुंबई पुलिस और गृह मंत्रालय और केंद्र सरकार द्वारा निरंतर खतरे की धारणा के मद्देनजर उन्हें एडवांस स्तर की जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की गई थी। शीर्ष अदालत ने केंद्र की विशेष अनुमति याचिका में विकास साहा द्वारा दायर एक आवेदन पर आदेश पारित किया, जिसमें त्रिपुरा उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिसमें मुकेश अंबानी और उनके परिवार के संबंध में खतरे की धारणा के संबंध में गृह मंत्रालय को मूल फाइलें पेश करने का निर्देश दिया गया था। उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि पिछले साल जून में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी को संबंधित फाइलों के साथ सीलबंद लिफाफे में पेश होना चाहिए।

कोर्ट पहले रद्द कर चुका है कार्रवाई

पिछले साल 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में उद्योगपति और उनके परिवार को प्रदान किए गए सुरक्षा कवर पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका के संबंध में त्रिपुरा उच्च न्यायालय की कार्यवाही को रद्द कर दिया था। हालांकि, साहा ने जुलाई के आदेश के स्पष्टीकरण के लिए फिर से एक विविध आवेदन दायर किया। आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि जुलाई के आदेश में जैसा कि यह है, उक्त आदेश की गलत व्याख्या की बहुत गुंजाइश है, जब तक कि यह स्पष्ट नहीं किया जाता है कि उक्त आदेश का दायरा विशेष रूप से केवल अंबानी को सुरक्षा कवर प्रदान करने तक सीमित था। महाराष्ट्र, जो उनके लिए व्यवसाय और निवास स्थान है।

इस बात पर जताई चिंता

रोहतगी ने प्रस्तुत किया कि उनके ग्राहकों को देश को वित्तीय रूप से अस्थिर करने के लिए लक्षित किए जाने का निरंतर जोखिम है और ऐसा जोखिम न केवल पूरे भारत में मौजूद है, बल्कि जब वह विदेश यात्रा कर रहे हैं, तब भी है। शीर्ष अदालत ने साहा द्वारा दायर आवेदन का निस्तारण करते हुए कहा कि हमारी सुविचारित राय है कि यदि कोई सुरक्षा खतरा है, तो प्रदान की गई सुरक्षा कवर और वह भी उत्तरदाताओं के अपने खर्च पर किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित नहीं हो सकती। उत्तरदाता संख्या 2 से 6 की देश के भीतर और देश के बाहर भी व्यावसायिक गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षा यदि किसी विशेष स्थान या क्षेत्र तक ही सीमित रहेगी तो सुरक्षा कवर प्रदान करने का मूल उद्देश्य विफल हो जाएगा।

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