साल 2023 विदाई लेने को तैयार और न्यू ईयर की तैयारियां शुरू हो गई है। यह साल कई खट्टे-मीठे यादों का पिटारा अपने साथ समेटे जा रहा है। इकोनॉमी फ्रंट पर भारत ने कोरोना महामारी से उबरकर कई मुकाम हासिल किए तो ग्लोबल मोर्चे पर रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध समेत तमाम झंझावातों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा भी हासिल किया। इतना ही नहीं, भारत ने विकसित देशों के साथ विकासशील देशों के बीच अपना अलग पहचान बनाई। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी दुनिया में सर्वमान्य नेता बनकर उभरे। साल 2023 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कैसा रहा और क्या-क्या उपलब्धिक हासिल हुई, पेश है एक लेखाजोखा।
मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर उभरा भारत
2023 की अगर सबसे बड़ी उपलब्धि पर चर्चा की जाए तो भारत दुनिया में चीन के बाद मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर उभरा। मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने से मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल समेत तमाम सेक्टर में भारत की पहचान दुनिया के कारखाने की तौर पर हुई। चीन से निकलकलर सैंकड़ों कंपनियों ने भारत में अपने कारोबार को विस्तार दिया। सरकार की पीएलआई स्कीम से दुनियाभर की कंपनियों ने भारत में अपना प्रोडक्शन प्लांट खोला। इससे लोगों को रोजगार के मौके बढ़ें। साथ ही देश की विकास रफ्तार भी तेज हुई।
दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़े कदम
भारत सरकार की बेहतरीन नीतियां और लोगों की जिंदादिली ने भारत को फिर से सोने की चिड़ियां बना दिया है। इससे दुनियाभर के निवेशक भारत में पैसा लगा रहे हैं। इससे भारतीय शेयर बाजार रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया है। निफ्टी ने पहली बार 21 हजार का आंकड़ा छुआ है। भारत में निवेश बढ़ने से अर्थव्यवस्था का साइज तेजी से बढ़ रहा है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसार, भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और वित्त वर्ष 2026-27 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि सात प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का अनुमान है कि भारत 2027-28 तक 5,000 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।
लोगों की आय बढ़ी, कमाई के मौके बढ़े
भारत की अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार ने आम लोगों की आय बढ़ाने का काम किया है। इसके साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। देश में बेरोजगारी कम हुई है और रोजगार के अवसर बढ़े हैं। युवा नौकरी के साथ नए-नए बिजनेस कर लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं। लोगों की आय बढ़ने से उनकी परचेजिंग पावर बढ़ी है, जिसके चलते घर, गाड़ी समेत तमाम लग्जरी आइटम्स की रिकॉर्ड बिक्री हो रही है। ये देश की जीडीपी की रफ्तार को और तेज करने का काम कर रहा है। सरकार अपनी नीतियों से प्राइवेट निवेश को बढ़ावा दे रही है। इससे आने वाले समय में और मौके बनेंगे।
पूरी दुनिया की उम्मीदें भारत पर आ कर टिकी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बेहतरीन नीतियों के चलते चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में भारत की 7.7 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि हासिल की है। इस पर खुद पीएम मोदी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश की मजबूत होती अर्थव्यवस्था और पिछले 10 वर्षों में किए गए परिवर्तनकारी सुधारों का यह प्रतिबिंब है। उन्होंने आगे कहा कि आज पूरी दुनिया की उम्मीदें भारत पर टिकी हैं और यह सिर्फ अपने आप नहीं हुआ। यह भारत की मजबूत होती अर्थव्यवस्था और पिछले 10 वर्षों में किए गए परिवर्तनकारी सुधारों का भी प्रतिबिंब है।
दुनिया का एक चमकता सितारा बना भारत
ग्लोबल फ्रंट पर मंदी के बीच भारत, 2023 में विश्व में एक चमकता स्थान और विकास एवं नवाचार का ‘पावरहाउस’ बना। इसी का परणिाम देखने को मिला कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की 2023-24 की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 0.2 प्रतिशत बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया, लेकिन उसने वैश्विक वृद्धि का अनुमान घटाकर तीन प्रतिशत कर दिया। सिर्फ आईएमएफ ही नहीं, विश्व बैंक, फीच समेत तमाम ग्लोबल रेटिंग ने भारत की विकास की रफ्तार पर भरोसा जातया है। साथ ही कई ने जीडीपी के अनुमान में संशोधन करते हुए उसे बढ़ाया है।
टूटते रुपये और आसमान छूती महंगाई ने चिंता बढ़ाई
तमाम मोर्चे पर बेहतर करने के बावजूद डॉलर के मुकाबले टूटते रुपये ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया टूटकर पहली बार 83 के पार निकल गया। इससे आयात करना महंगा हुआ, जिसका बोझ आम लोगों पर पड़ा। इसके अलावा दुनिया के बिगड़े हालत ने कई जरूरी सामान की महंगाई को चरम पर पहुंचा दिया। इससे भी आम लोगों का बजट बिगड़ा। इतना ही नहीं, सरकार का राजकोषीय घाटा अक्टूबर के अंत में पूरे साल के बजट अनुमान के 45 प्रतिशत तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान 8.03 लाख करोड़ रुपये था। सरकार के व्यय और राजस्व के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं।