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विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से रिकॉर्ड 1.4 लाख करोड़ निकाले, जानिए, क्या रहा कारण

इससे पहले, 2018-19 में 88 करोड़ रुपये, 2015-16 में 14,171 करोड़ रुपये और 2008-09 में 47,706 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर एफपीआई ने बेचे थे।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 06, 2022 17:08 IST
FPI- India TV Paisa
Photo:FILE

FPI

Highlights

  • 2020-21 में 2.7 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे FPI
  • शेयरों का मूल्यांकन बढ़ना, तेल कीमतों में तेजी और डॉलर में मजबूती के कारण एफपीआई बिकवाल बने
  • वित्त वर्ष 2020-21 के 12 महीनों में से नौ महीनों में निकासी की

नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने वित्त वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड 1.4 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। जबकि इससे पहले 2020-21 में उन्होंने 2.7 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे। पूंजी निकासी का मुख्य कारण कोरोना वायरस मामलों में तीव्र वृद्धि, आर्थिक वृद्धि को लेकर जोखिम और रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल रहा। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, किसी एक वित्त वर्ष में घरेलू शेयर बाजार से इतनी राशि की निकासी सर्वाधिक है। इससे पहले, 2018-19 में 88 करोड़ रुपये, 2015-16 में 14,171 करोड़ रुपये और 2008-09 में 47,706 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर एफपीआई ने बेचे थे। 

कच्चे तेल में तेजी से आगे भी निकासी संभव 

विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और मुद्रास्फीति में वृद्धि को देखते हुए निकट भविष्य में एफपीआई की तरफ से निवेश प्रवाह में घट-बढ़ बना रह सकता है। एक अप्रैल, 2021 से मार्च, 2022 (2021-22) के दौरान एफपीआई घरेलू शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने 1.4 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। उन्होंने वित्त वर्ष के 12 महीनों में से नौ महीनों में निकासी की। वे अक्टूबर, 2021 से लगातार घरेलू बाजार में शेयर बेच रहे हैं। 

फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख का असर 

मार्निंग स्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि कई कारणों से एफपीआई ने पिछले वित्त वर्ष में निकासी की। इसमें एक कारण अप्रैल-मई, 2021 के दौरान कोरोना वायरस के मामलों में तेज वृद्धि भी है। कुल मिलाकर, एफपीआई ने 2021-22 की शुरुआत बिकवाली से की और अप्रैल-मई के दौरान 12,613 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। हालांकि, मई के मध्य से संक्रमण के मामले घटने तथा पाबंदियों में ढील के साथ स्थिति में सुधार आया। हालांकि, जून में बेहतर स्थिति के बाद एफपीआई जुलाई में शुद्ध बिकवाल बन गये और उन्होंने 11,308 करोड़ रुपये की निकासी की। इसका कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व का नीतिगत दर को लेकर आक्रामक रुख था। इसके अलावा, शेयरों का मूल्यांकन बढ़ना, तेल कीमतों में तेजी और अमेरिकी डॉलर में मजबूती के कारण भी एफपीआई बिकवाल बने। 

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