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विदेशी निवेशक शेयर बाजार को फिर ले जाएंगे ऊपर, नवंबर माह के डेटा से मिली ये अहम जानकारी

आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने अक्टूबर में 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय इक्विटी की बिकवाली की थी। इसके पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह महीनों तक खरीदार बने हुए थे। उस अवधि में विदेशी निवेशकों ने 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Nov 19, 2023 14:33 IST, Updated : Nov 19, 2023 14:34 IST
डॉलर- India TV Paisa
Photo:FILE डॉलर

विदेश निवेशक शेयर बाजार को फिर ऊपर ले जाएंगे। ऐसा इसलिए कि पिछले ढाई महीनों में लगातार बिकवाली के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नवंबर में अब तक 1,433 करोड़ रुपये की भारतीय इक्विटी खरीदी है। यह सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। इससे बाजार में और तेजी देखने को मिल सकती है। इसका मुख्य कारण अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी है। एफपीआई 15 नवंबर तक शुद्ध विक्रेता की स्थिति में थे लेकिन डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार उन्होंने 16-17 नवंबर को भारतीय इक्विटी बाजार में निवेश कर बिकवाली की प्रवृत्ति को पलट दिया। 

कच्चे तेल में गिरावट से बदली तस्वीर 

मॉर्निंगस्टार इंवेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के सह निदेशक एवं शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में जारी त्योहारी मौसम को भारतीय बाजार में एफपीआई की नए सिरे से रुचि के लिए एक कारक के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल गिरने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी कुछ दबावों को कम किया है जिससे बाजार में तेजी आई है।" जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि बाजार के जुझारूपन और माकूल समय में तगड़ी तेजी ने एफपीआई को रणनीति पर पुनर्विचार के लिए मजबूर किया है। यही कारण है कि नवंबर के पहले दो हफ्तों में लगातार बिकवाली के बाद वे इस महीने की 15 और 16 तारीख को खरीदार बन गए। 

अमेरिका से भी मिल रहा है सर्पोट 

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़ोतरी का काम पूरा कर लिया है और 2024 में धीरे-धीरे दरों में कटौती करना शुरू करेगा। अगर अमेरिकी मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख जारी रहता है तो फेडरल रिजर्व अगले साल के मध्य तक दरों में कटौती कर सकता है। इससे भारत जैसे उदीयमान बाजारों में एफपीआई प्रवाह को सुगम बनाया जा सकता है। आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने अक्टूबर में 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय इक्विटी की बिकवाली की थी। इसके पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह महीनों तक खरीदार बने हुए थे। उस अवधि में विदेशी निवेशकों ने 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। 

सितंबर में बिकवाली की सिलसिला शुरू किया था

हालांकि सितंबर में एफपीआई ने बिकवाली की सिलसिला शुरू किया। इसके पीछे अमेरिकी ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता, बॉन्ड प्रतिफल में तेजी, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और इजराइल-हमास संघर्ष से भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की अहम भूमिका रही। इस साल अब तक घरेलू इक्विटी बाजार में एफपीआई का कुल निवेश 97,405 करोड़ रुपये और ऋण बाजार में 47,800 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। विजयकुमार का मानना है कि एफपीआई निकट अवधि में वाहन, पूंजीगत उत्पाद, दूरसंचार, औषधि, सूचना प्रौद्योगिकी और निर्माण से जुड़े क्षेत्रों में अधिक निवेश करना पसंद करेंगे। 

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