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विदेशी निवेशकों ने लगातार दो वित्त वर्ष में शेयर बाजार से पैसे निकाले, 2022-23 में इतने हजार करोड़ की निकासी की

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में उनकी निकासी की रफ्तार धीमी होकर 37,632 करोड़ रुपये रही है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Apr 09, 2023 16:06 IST, Updated : Apr 09, 2023 16:06 IST
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक- India TV Paisa
Photo:FILE विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाजार से निकासी का सिलसिला बीते वित्त वर्ष (2022-23) में भी जारी रहा। वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी के बीच बीते वित्त वर्ष में एफपीआई ने 37,631 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। इससे पहले 2021-22 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से रिकॉर्ड निकासी की थी।  जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में एफपीआई का निकासी का रुख पलटने की उम्मीद है, क्योंकि भारत में 2023-24 में वृद्धि की सबसे अच्छी संभावना है।

1993 में शेयर बाजार में निवेश करना शुरू किया

बाजार विश्लेषकों का मानना ​​है कि चालू वित्त वर्ष में एफपीआई प्रवाह कई कारकों मसलन अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत रुख, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगा। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1993 में भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना शुरू किया था। उसके बाद से यह पहला मौका है जबकि एफपीआई लगातार दो वित्त वर्षों के दौरान शुद्ध बिकवाल रहे हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में उन्होंने 1.4 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।

रिकॉर्ड 2.7 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में उनकी निकासी की रफ्तार धीमी होकर 37,632 करोड़ रुपये रही है। इससे पहले 2020-21 में एफपीआई ने शेयरों में रिकॉर्ड 2.7 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। 2019-20 में उनका निवेश 6,152 करोड़ रुपये रहा था। वित्त वर्ष 2022-23 में ज्यादातर प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू कर दिया, जिससे भारत और अन्य उभरते बाजारों से पैसा निकलना शुरू हुआ। इसके चलते ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। वैश्विक स्तर पर मौद्रिक रुख में सख्ती, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, जिंसों के ऊंचे दाम और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण विदेशी पूंजी की निकासी हुई।

घरेलू मोर्चे पर भी परिदृश्य उत्साहजनक नहीं

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर भी परिदृश्य उत्साहजनक नहीं है। बढ़ती महंगाई चिंता का कारण बनी हुई है और इसे काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक ने भी दरों में बढ़ोतरी की है, जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था की वृद्धि की संभावनाएं प्रभावित होंगी। उन्होंने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू जिसके कारण घरेलू शेयर बाजारों से निकासी हुई, वह अन्य संबंधित बाजारों की तुलना में इसका ऊंचा मूल्यांकन है। शेयरों के अलावा एफपीआई ने बीते वित्त वर्ष में ऋण या बॉन्ड बाजार से भी 8,938 करोड़ रुपये निकाले। इससे पहले 2021-22 में उन्होंने बॉन्ड बाजार में 1,628 करोड़ रुपये डाले थे। भाषा अजय अजय प्रेम प्रेम 0904 1415 दिल्ली नननन 

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