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FPI Back: विदेशी निवेशकों ने सिर्फ 10 दिन में 22,452 करोड़ का निवेश किया, जानिए, Share Market में लौटने की वजह

FPI Back: लगातार नौ माह तक निकासी के बाद जुलाई में एफपीआई पहली बार शुद्ध खरीदार बने थे। पिछले साल अक्टूबर से वे लगातार बिकवाल बने हुए थे।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 14, 2022 14:22 IST
FPI Back- India TV Paisa
Photo:FILE FPI Back

FPI Back: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अगस्त के पहले दो सप्ताह में भारतीय शेयरों में आक्रामक तरीके से खरीदारी की है। सिर्फ 10 ट्रेडिंग डे में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में 22,452 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यानी, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अगस्त के पहले दो सप्ताह के 10 कारोबारी दिन में भारतीय शेयर बाजार में यह निवेश किया है। आखिर क्या वजह है कि लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार की ओर रुख किया है। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) श्रीकांत चौहान ने कहा कि मुद्रास्फीति का लेकर चिंता दूर होने तथा केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख को सख्त किए जाने की वजह से आगे चलकर उभरते बाजारों में एफपीआई के प्रवाह में और सुधार देखने को मिलेगा। इस के चलते विदेशी निवेशकों ने एक बार फिर से भारतीय Share Market में निवेश शुरू किया है।

आक्रामक तरीके से खरीदारी की

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अगस्त के पहले दो सप्ताह में भारतीय शेयरों में आक्रामक तरीके से खरीदारी की है। पिछले महीने एफपीआई एक लंबे अंतराल के बाद भारतीय शेयर बाजारों में फिर शुद्ध लिवाल बने थे। मुद्रास्फीति को लेकर चिंताएं कम होने के बीच विदेशी निवेशकों ने अगस्त के पहले दो सप्ताह में शेयर बाजारों में 22,452 करोड़ रुपये डाले हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले जुलाई के पूरे महीने में एफपीआई ने शेयरों में करीब 5,000 करोड़ रुपये डाले थे।

लगातार नौ माह तक निकासी की

लगातार नौ माह तक निकासी के बाद जुलाई में एफपीआई पहली बार शुद्ध लिवाल बने थे। पिछले साल अक्टूबर से वे लगातार बिकवाल बने हुए थे। अक्टूबर, 2021 से जून, 2022 तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2.46 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर 6.71 प्रतिशत पर आ गई है। हालांकि, यह अब भी रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आई है। वहीं, अमेरिका में भी मुद्रास्फीति 40 साल के उच्चस्तर से घटकर जून में 8.5 प्रतिशत रह गई है। इससे संकेत मिलता है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व आगे अपने मौद्रिक रुख को अधिक सख्त नहीं करेगा।

विदेशी निवेशक आगे भी करेंगे निवेश

ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा, ‘‘ऊर्जा के दाम निचले स्तर पर रहते हैं और युद्ध के मोर्चे से कुछ हैरान करने वाली खबरें नहीं आती हैं, तो विदेशी कोषों का प्रवाह जारी रहेगा।’’ डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एक से 12 अगस्त के दौरान शेयरों में शुद्ध रूप से 22,452  करोड़ रुपये डाले। इसके अलावा समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में शुद्ध रूप से 1,747 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

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