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सोनली बेंद्रे की तरह कोई भी हो सकता है इस बीमारी का शिकार, महंगे इलाज के लिए आज ही कर लें ये उपाय

मशहूर फिल्‍म अभिनेत्री सोनीली बेंद्रे ने आज जब अपने ट्विटर हैंडर पर खुद को मेटास्टेटिक कैंसर से पीडि़त होने का खुलासा किया तो उनके प्रशंसकों से लेकर पूरी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में गम की लहर दौड़ गई।

Sachin Chaturvedi Written by: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: July 04, 2018 19:35 IST
cancer- India TV Paisa

cancer

नई दिल्‍ली। मशहूर फिल्‍म अभिनेत्री सोनीली बेंद्रे ने आज जब अपने ट्विटर हैंडर पर खुद को मेटास्टेटिक कैंसर से पीडि़त होने का खुलासा किया तो उनके प्रशंसकों से लेकर पूरी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में गम की लहर दौड़ गई। सोनाली बेंद्रे इस समय न्‍यूयॉर्क में अपना इलाज करवा रही हैं। सच में जब आपके किसी करीबी को यह अपना शिकार बनाता है, तभी आपको अहसास होता है कि कैंसर का खतरा कितना बड़ा है। आज मेडिकल साइंस ने कैंसर से लड़ने की ताकत दी है, लेकिन यह लड़ाई बहुत महंगी होती है। गरीब आदमी ही क्‍या, उच्‍च मध्‍यम वर्ग का व्‍यक्ति भी कैंसर के इलाज का खर्च नहीं उठा सकता।

आज हमें दो बातें समझनी होंगी, पहली यह कि कैंसर एक आम जीवन जी रहे किसी युवा व्‍यक्ति को भी हो सकता है और दूसरा, इस स्थिति का सामना करने के लिए सभी को वित्‍तीय रूप से तैयार होना चाहिए। लेकिन आमतौर पर देखा गया है कि हम में से ज्‍यादातर लोग दोनों की परिस्थितियों से जानबूझ कर अनजान रहते है।

इसका समाधान क्‍या है?

पहला यह कि, हमें यह स्वीकार करना होगा कि कैंसर का खतरा वास्तविक है। साथ ही कैंसर किसी को भी, किसी भी उम्र में और बिना किसी विशेष लक्षण या संकेत दिए हो सकता है। दूसरा, कैंसर के इलाज की बढ़ती लागत के असर को कम करने के लिए हर किसी को गंभीरता के साथ वित्‍तीय योजना तैयार करनी चाहिए।

भारत में बढ़ रही है मरीजों की संख्‍या

भारत में कैंसर ने महामारी जैसा स्‍वरूप ले लिया है। हर साल 10 लाख लोगों में कैंसर का पता चल रहा है और 6 लाख लोग इससे मर रहे हैं। 2035 तक, यह आंकड़ा हर साल 17 लाख मरीज और 12 लाख मौतों तक पहुंच सकता है। कैंसर एक खतरनाक बीमारी है। 8 में से 1 पुरुष या 9 में से 1 महिला को यह उनके पूरे जीवनकाल में किसी भी रूप में प्रभावित कर सकता है। कैंसर संबंधी अधिकांश मौतें 30-69 वर्ष के आयु वर्ग में दर्ज की गई हैं।

आपके इंश्‍योरेंस में शामिल हो कैंसर सुरक्ष

शुरुआती अवस्‍था ही यदि रोग का पता चल जाए, तब भी इसके इलाज में 10 से 12 लाख रुपए तक खर्च हो सकते हैं। रोग की अवस्‍था और उपचार के विकल्‍प के आधार पर, यह राशि और भी अधिक हो सकती है। यदि किसी व्‍यक्ति के पास एक ऐसा व्‍यापक हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कवर हो, जो कि उसे गंभीर बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता हो। इसके बावजूद उसे अपने आप से यह सवाल पूछना चाहिए कि “क्‍या यह राशि कैंसर के इलाज का खर्च उठाने के लिए पर्याप्‍त है? अधिकांशत: कैंसर के इलाज के लिए अस्‍पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती। इस स्थिति में एक सामान्‍य हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी यहां काम नहीं आती। भले ही ये पॉलिसी गंभीर बीमारियों को कवर करती हो लेकिन ये तभी काम आती है जब बीमारी बढ़कर गंभीर स्थिति में आ जाती है। इलाज के शुरुआती चरण में जब मदद की सबसे ज्‍यादा जरूरत होती है, तब इसका लाभ नहीं मिल पाता।

कैंसर इंश्‍योरेंस प्‍लान

उपरोक्‍त सभी बातों को ध्‍यान में रखते हुए, हर किसी को कैंसर प्‍लान की जरूरत को स्‍वीकार करना चाहिए। ये प्‍लान खासतौर पर कैंसर के लिए तैयार किए जाते हैं। इनका उद्देश्‍य मरीज को सही समय पर वित्तीय सहायता प्रदान करना होता है जिससे कि मरीज सिर्फ रोग से मुकाबला करने पर ध्यान केंद्रित करे और अप्रत्‍याशित खर्चों को पूरा करने के लिए परेशान न हो।

कैंसर इंश्‍योरेंस प्‍लान लेने की प्रक्रिया किसी अन्‍य प्‍लान को लेने जितनी ही आसान है। यहां सिर्फ एक आनलाइन या फिजिकल फॉर्म भरना होता है, इसके बाद पॉलिसी जारी करने से पूर्व कुछ जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं। अधिकांश बीमा कंपनियां ग्राहक की उम्र और आवेदन फॉर्म में घोषित तथ्‍यों के आधार पर मेडिकल टेस्‍ट के बिना पॉलिसी जारी कर देते हैं। पॉलिसी खरीदते समय सही जानकारी देना बेहतद जरूरी होता है क्योंकि कैंसर के पारिवारिक इतिहास वाले लोग कैंसर प्‍लान को खरीदने के पात्र नहीं होते। यह ध्यान रखना बहुत जरूरी कि यह बात केवल रक्‍त संबंधियों जैसे माता-पिता या भाई बहन में कैंसर के इतिहास के मामले में लागू होती है। इसके अलावा इसमें कुछ ऐसी स्थितियां भी हैं जहां कैंसर प्‍लान की पात्रता समाप्‍त हो जाती है जैसे कि पहले से कैंसर होना, एसटीडी (यौन संचारित बीमारियों, एड्स या एचआईवी) से होने वाला कैंसर या शराब अथवा नशीले पदार्थों या फिर रजिस्‍टर्ड डॉक्‍टर की सलाह के बिना ली गई दवा से होने वाला जहरीला असर । कैंसर प्‍लान खरीदते समय इन जरूरी तथ्‍यों को छिपाना क्‍लेम लेते समय मुश्किल खड़ी कर सकता है और संभव है कि बीमित व्‍यक्ति को इस प्‍लान के फायदों का लाभ ही न मिल पाए।

अलग-अलग प्‍लान

अधिकांश कैंसर इंश्‍योरेंस पॉलिसी विभिन्‍न अवस्‍थाओं में राशि का भुगतान करती हैं। उदाहरण स्‍वरूप, बीमारी का पता चलते ही बीमित राशि का 25% तुरंत पॉलिसी धारक के खाते में पहुंच जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे शुरुआती खर्चों की भरपाई की जा सके। यह सुविधा ने अस्‍पताल में भर्ती होने के शुरुआती खर्च को आसानी से पूरा करने में मेरे दोस्त की मदद कर सकती थी। यदि शरीर के एक से अधिक अंगों में कैंसर का पता चलता है, तो बीमा राशि का 20% प्रत्‍येक अंग के इलाज के लिए प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, कुछ प्‍लान शुरुआती अवस्‍था में ही बीमा राशि का 100% भुगतान कर देते हैं और इसके अलावा एक निश्चित अवधि तक बीमा राशि का 10 फीसदी आय के रूप में अलग से भुगतान करते हैं।

कितना करना होगा खर्च

कैंसर इंश्‍योरेंस कवर सस्‍ते होते हैं और अधिक बीमा राशि प्रदान करते हैं। आप इन्‍हें 5000-6000 रुपए के वार्षिक भुगतान पर 40 वर्ष की अवधि के लिए खरीद सकते हैं। यह प्रीमियम बीमा की राशि, आयु और लिंग पर निर्भर करता है। इसमें प्रीमियम की छूट, आय लाभ और समय के साथ बीमा राशि में वृद्धि जैसे कुछ खास फीचर्स भी शामिल हैं। एक 30 वर्षीय पुरुष 70 वर्ष की परिपक्‍वता आयु और 25 लाख की बीमा राशि के लिए 8231 रुपए का भुगतान करेगा। यह राशि सप्‍हांत पर घूमने फिरने पर होने वाले खर्च से भी कम है।

ऐसे लें फायदा

अधिकतर कैंसर प्‍लान में, बिना क्‍लेम वाले साल बीमा राशि 10-15% बढ़ जाती है। यदि मेरे दोस्‍त ने कैंसर प्‍लान लिया होता, तो उसे 20% तक अधिक कवर, प्रीमियम से छूट और आय लाभ भी प्राप्‍त हो सकता था। दुर्भाग्‍यवश कैंसर का पता लगाने पर, कैंसर प्‍लान आपकी वित्‍तीय स्‍थिति को सुरक्षित बनाते हैं और बीमारी से लड़ने के लिए मन की शांति प्रदान करते हैं। यह इलाज के खर्च और आमदनी के नुकसान दोनों का ख्‍याल रखता है। वह भी ऐसे समय में जब इलाज की अनियमितता उस व्‍यक्ति को नौकरी नहीं करने देती।

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