नई दिल्ली। 2015 साल खत्म होने को है, नए साल की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। हर साल लोग नए साल की शुरुआत पर कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। साथ ही अपने व्यक्तित्व में सुधार के लिए कोई न कोई रिजोल्यूशन लेते हैं। आप भी इस साल कुछ नया करते हुए अगले साल ऐसी फाइनेंशियल प्लानिंग का रिजोल्यूशन लीजिए, जो साल के अंत तक आपको आर्थिक रूप से स्थायित्व प्रदान करे। यही ध्यान में रखते हुए इंडियाटीवी पैसा की टीम नए साल पर फाइनेंशियल रिजोल्यूशन के 5 टिप्स देने जा रहा है। अगर आप इन्हें अपनाते हैं तो आपका अगला साल जरूर होगा हैप्पी न्यू ईयर।
1 लक्ष्यों को तय करें और उनपर आगे बढ़ें
लक्ष्य के बिना न तो हम फाइनेंशियल प्लानिंग का पहला कदम रख सकते हैं और न ही कहीं निवेश की तैयारी कर सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप नए साल की शुरुआत लक्ष्यों के साथ करें। हर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न लक्ष्य होते हैं जैसे कार, मकान खरीदना, बच्चों की पढ़ाई-शादी, रिटायरमेंट आदि। हमें इन लक्ष्यों का सही आकलन कर इनकी सूची बनाना एवं यह निर्धारित कर लेना चाहिए कि इन लक्ष्यों के लिए वित्तीय आवश्यकता संभवत: किस वर्ष में होगी।
2 खर्चों के लिए करें पर्फेक्ट प्लानिंग
आपकी बचत आपके खर्चों और लाइफ स्टाइल पर निर्भर करती है। ऐसे में विभिन्न मद में होने वाले खर्चों का हिसाब-किताब रखें एवं समय पर रिव्यू करें कि किस मद में खर्चों में कमी की जा सकती है। अगर आपने ऐसे पर्सनल लोन ले रखे हैं, जिनसे आपकी संपत्ति में कोई इजाफा नहीं हो रहा हो। उसे बंद करा दें। साथ ही हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि किस प्रकार हम ब्याज के भार को कम कर सकते हैं।
3 टैक्स सेविंग का बढ़ाएं दायरा
अधिकांश व्यक्ति जल्दबाजी में टैक्स बचत के लिए अंतिम समय में बिना अधिक विचार किए कहीं भी निवेश कर देते हैं, जिसमें टैक्स बचत तो हो जाती है, परंतु भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति सही ढंग से नहीं हो पाती है। अत: हमें वर्ष के प्रारंभ में ही टैक्स प्लानिंग करके उचित साधनों में निवेश प्रारंभ कर देना चाहिए।
4 इमर्जेंसी फंड एवं इंश्यारेंस कवर का बढ़ाएं दायरा
हम सभी चाहते हैं कि हमारा कल सुखमय हो। लेकिन समय आपको किसी भी परिस्थिति में लाकर खड़ा कर सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी रिस्क लेने की क्षमता को पहचाने और अपनी जरूरत के अनुसार एक इमर्जेंसी फंड तैयार करें। इसके साथ ही इंश्योरेंस कवरेज का भी ध्यान रखें। अक्सर हम लाइफ इंश्योरेंस या हेल्थ इंश्योरेंस ले लेते हैं। पर इनके कवर पर्याप्त नहीं होते हैं। इसका मुख्य कारण है कि हम इंश्योरेंस में भी रिटर्न तलाशते हैं और रिस्क को अंडर एस्टीमेट करते हैं। अत: आवश्यकता यह है कि टर्म प्लान के जरिये पर्याप्त लाइफ इंश्योरेंस एवं बढ़ती हुई मेडिकल कॉस्ट को ध्यान में रखकर पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस लें।
5 अपनी वसीयत लिखें
सामान्यत: लोग 60 से 70 वर्ष की आयु के बाद ही वसीयत लिखने की योजना बनाते हैं एवं अधिकांश लोगों की मृत्यु बिना वसीयत लिखे ही हो जाती है, जिससे परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, अत: 18 वर्ष की आयु से अधिक मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति, जिनके पास संपत्ति/जीवन बीमा पॉलिसी है, को अपनी वसीयत आवश्यक रूप से लिखना चाहिए।