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Inflation : महंगाई ने 2021 में तोड़ी कमर, जानिए क्या 2022 में होगी आपकी जेब की तुरपाई?

वर्ष 2021 उपभोक्ताओं के लिहाज से खराब रहा है, बढ़ती कीमतों के अलावा लोगों को आय, रोजगार में कमी और कारोबार में नुकसान का सामना करना पड़ा।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 27, 2021 19:28 IST
Inflation : महंगाई ने 2021 में...- India TV Paisa
Photo:PTI

Inflation : महंगाई ने 2021 में तोड़ी कमर, जानिए क्या 2022 में होगी आपकी जेब की तुरपाई?

Highlights

  • खाद्य तेल, ईंधन की बढ़ती कीमतों की वजह से इस वर्ष उपभोक्ताओं की जेब पर भार पड़ा है
  • कोरोना वायरस की दूसरी लहर के विनाशकारी झटकों से हिली अर्थव्यवस्था अब पुनरुद्धार के मार्ग पर
  • रसोई गैस, सब्जी-फल, दाल एवं अन्य वस्तुओं की कीमतें कच्चा माल महंगा होने के कारण बढ़ गईं

नयी दिल्ली। खाद्य तेल, ईंधन और कई अन्य जिंसों की बढ़ती कीमतों की वजह से इस वर्ष उपभोक्ताओं की जेब पर बहुत भार पड़ा है, लेकिन आने वाले महीनों में महंगाई के मोर्चे पर कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के विनाशकारी झटकों से हिली अर्थव्यवस्था अब पुनरुद्धार के मार्ग पर है, लेकिन वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन के सामने आने के बाद सुधार के पटरी से उतरने का खतरा पैदा हो गया है। 

वर्ष 2021 उपभोक्ताओं के लिहाज से खराब रहा है, बढ़ती कीमतों के अलावा लोगों को आय, रोजगार में कमी और कारोबार में नुकसान का सामना करना पड़ा। जिंस (विनिर्मित हो या प्रसंस्कृत), परिवहन तथा रसोई गैस, सब्जी-फल, दाल एवं अन्य वस्तुओं की कीमतें कच्चा माल महंगा होने के कारण बढ़ गईं। हालांकि, अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे आर्थिक पुनरुद्धार हो रहा है। 

कई विनिर्मित कच्चे माल की उच्च लागत का भार उत्पादकों ने उपभोक्ताओं पर डाल दिया जिसके कारण थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में अब तक के सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गई जबकि खुदरा मुद्रास्फीति भी अधिक रही। इस वर्ष खाद्य तेलों के दाम भी 180-200 रुपये लीटर पर पहुंच गए। विश्लेषकों और विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उच्च मुद्रास्फीति बनी रहेगी। हालांकि, आर्थिक वृद्धि में धीरे-धीरे सुधार और सामान्य मानसून के कारण अच्छी फसल की संभावनाएं आगे चलकर कीमतों को कम करने में मदद करेंगी। 

रिजर्व बैंक रेपो दर की समीक्षा के लिए खुदरा मुद्रास्फ्रीति को मुख्य कारक के रूप में देखता है। उसका अनुमान है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अगले वर्ष की पहली छमाही में करीब पांच प्रतिशत रहेगी। जनवरी, 2021 में खुदरा मुद्रास्फीति चार फीसदी से कुछ अधिक थी और इस वर्ष यह दो बार छह प्रतिशत को लांघ चुकी है। हालांकि, नवंबर में यह पांच प्रतिशत से नीचे आ गई। दूसरी ओर, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 14.23 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। 2020 में यह 2.29 फीसदी थी। 

सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के चेयरमैन सुरेश नागपाल ने कहा कि बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए सरकार ने कच्चे और परिष्कृत खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कई बार घटाया। यस बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि वृद्धि के सामान्य होने के साथ, जिंसों की कीमतें कम होने की संभावना है और यह भारत की मुद्रास्फीति के लिए फायदेमंद होगा। वैश्विक खाद्य कीमतें अधिक हैं लेकिन इसका भारत पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत में अनाज का पर्याप्त बफर स्टॉक है।’’

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