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अप्रैल तक इतनी बढ़ जाएगी होमलोन की EMI, जिद्दी महंगाई बनी रिजर्व बैंक का सिरदर्द

अगले कुछ महीनों तक कुल मुद्रास्फीति के मध्यम रहने के बावजूद प्रमुख मुद्रास्फीति बनी रह सकती है और आरबीआई इसी को नियंत्रित करने के लिए नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है

Sachin Chaturvedi Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: February 09, 2023 12:09 IST
Shaktikant Das- India TV Paisa
Photo:AP Shaktikant Das

भारतीय रिजर्व बैंक ने हर दो महीने में होने वाली मौद्रिक समीक्षा बैठक के बाद बुधवार को ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर दी थी। वित्तमंत्री के इशारे से शुरुआती दौर में ये लगा कि संभव है कि आने वाले वक्त के लिए यह आखिरी बढ़ोत्तरी हो, लेकिन रिजर्व बैंक की बैठक से जो आंकड़े सामने आए उसे देखकर लग रहा है कि जिद्दी महंगाई फिलहाल रिजर्व बैंक को आगे भी ब्याज दरें बढ़ाने को मजबूर कर सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी के रुख पर कायम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अप्रैल में प्रस्तावित अगली मौद्रिक समीक्षा में भी रेपो दर में एक और वृद्धि कर सकता है। 

जानिए कितनी बढ़ सकती हैं ब्याज दरें 

एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि अप्रैल की नीतिगत समीक्षा के दौरान रेपो दर में 0.25 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि आरबीआई प्रमुख मुद्रास्फीति पर काबू पाने का रुख कायम रखता हुआ नजर आ रहा है। बरुआ ने कहा, “अगले कुछ महीनों तक कुल मुद्रास्फीति के मध्यम रहने के बावजूद प्रमुख मुद्रास्फीति बनी रह सकती है और आरबीआई इसी को नियंत्रित करने के लिए नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है।” 

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10 महीनों में 2.5 फीसदी बढ़ा रेपो रेट

रिजर्व के लिए 2022 का साल काफी व्यस्त रहा, वहीं कर्ज लेने वालों के लिए हर दूसरे महीने आफत की बारिश होती रही। लेकिन दूसरी ओर एफडी करवाने वालों के लिए यह साल बहुत अच्छा रहा। आरबीआई ने बुधवार को रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की एक और वृद्धि करते हुए इसे 6.50 प्रतिशत पर पहुंचा दिया। 

रेपो रेट वृद्धि में अभी विराम नहीं

एक्यूट रेटिंग की मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी का भी मानना है कि नीतिगत दर रेपो की वृद्धि पर विराम लगने के संकेत नहीं दिख रहे हैं। हालांकि इंडिया रेटिंग के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि आरबीआई अब नीतगत दर रेपो नहीं बढ़ाएगा लेकिन इसे कम करने के बारे में बिल्कुल नहीं सोचेगा। इसका मतलब है कि निकट भविष्य में इसके कम से कम मौजूदा स्तर पर रहने की संभावना बनी हुई है। 

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फेडरल रिवर्ज पर पूरी निगाहें

एसबीआई के समूह मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने कहा कि आरबीआई का फेडरल रिजर्व के असर से बाहर निकलना जरूरी है और यह अप्रैल की नीतिगत समीक्षा से साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की मौद्रिक नीति अपनी जरूरतों से तय होनी चाहिए। 

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