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Retirement Planning: अब बुढ़ापे की नो टेंशन, Mutual Fund के जरिए यूं करें सेकेंड ईनिंग के लिए अपनी रिटायरमेंट प्लानिंग

Retirement Planning: किसी स्कीम के नाम में रिटायरमेंट प्लान या Pension Plan लगा देने से यह साबित नहीं हो जाता कि वह आपके Retirement Planning के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होगी।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Jul 24, 2022 16:33 IST, Updated : Jul 24, 2022 16:33 IST
Mutual Funds- India TV Paisa
Photo:FILE Mutual Funds

Highlights

  • बाजार में पेंशन प्लान व रिटायरमेंट प्लान के नाम से निवेश के बहुत से विकल्प मौजूद हैं
  • रिटायरमेंट प्लानिंग के दो चरण होते हैं- पहला एक्युमुलेशन और दूसरा डिस्ट्रिब्यूशन
  • एक्युमुलेशन यानि धीरे-धीरे निवेश कर अपने लक्ष्य के लिए एक बड़ी रकम जुटाना

Retirement Planning:  सेवानिवृत्त जीवन आनंददायक हो, यह सभी का सपना होता है। लेकिन यह तभी मुमकिन है जब सही तरीके से योजना बनाई जाए। यूं तो बाजार में पेंशन प्लान व रिटायरमेंट प्लान के नाम से निवेश के बहुत से विकल्प मौजूद हैं, जिनमें से अधिकतर योजनाएं जीवन बीमा कंपनियों द्वारा संचालित हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या निवेश के ये विकल्प रिटायरमेंट प्लानिंग के उद्देश्य को पूरा कर पाएंगे? किसी स्कीम के नाम में मात्र रिटायरमेंट प्लान या पेंशन प्लान लगा देने से यह साबित नहीं हो जाता कि जो स्कीम आप खरीद रहे हैं वह आपके रिटायरमेंट प्लानिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होगी।

कैसे करें रिटायरमेंट प्लानिंग

रिटायरमेंट प्लानिंग के दो चरण होते हैं- पहला एक्युमुलेशन और दूसरा डिस्ट्रिब्यूशन। एक्युमुलेशन यानि जब आप धीरे-धीरे निवेश करके अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक बड़ी रकम जुटाते हैं और डिस्ट्रिब्यूशन यानि जब जमा किए गए पैसों में से समय-समय पर पैसे निकाल कर आप अपना जीवन निर्वाह करते हैं। चूंकि म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार के होते हैं इसलिए ये जरूरत के हिसाब से एक्युमुलेशन व डिस्ट्रिब्यूशन दोनों ही चरणों में सहायक सिद्ध होते हैं।

एक्युमुलेशन

सुरक्षा व बेहतर रिटर्न दोनों ही एक आदर्श निवेश की जरूरतें हैं। किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो में इक्विटी, डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट इत्यादि सभी प्रकार के एसेट्स होने चाहिए ताकि पोर्टफोलियो का संतुलन बना रहे। रिटायरमेंट प्लानिंग क्योंकि लंबी अवधि का निवेश है, इसलिए थोड़ा जोखिम लेकर अधिक लाभ प्राप्त करने की कोशिश की जा सकती है।

यदि आप युवावस्था से अपनी सेवानिवृत्ति की योजना बनाते हैं तो आपके पास अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक लंबा वक्त होता है। ऐसे में अधिक निवेश इक्विटी म्यूचुअल फंड में किया जाना चाहिए। इक्विटी मार्केट में छोटी अवधि के दौरान उतार-चढ़ाव बना रहता है किन्तु यह बात प्रमाणित है कि लंबी अवधि में इक्विटी में निवेश दूसरे विकल्पों के मुकाबले ज्यादा लाभ देता है। साथ ही इक्विटी में निवेश करना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि फिक्स्ड डिपॉजिट व डाक घर बचत योजनाओं जैसे डेट के विकल्पों या गोल्ड इत्यादि में निवेश सुरक्षित तो रहता है, किन्तु इस पर मिलने वाला रिटर्न आकर्षक नहीं होता।  

समय के साथ महंगाई बढ़ती जाती है और ऐसे में यदि निवेश पर मिलने वाला रिटर्न मुद्रास्फीति की दर से भी कम हो, तो निवेश के लक्ष्य को हासिल करना अत्यंत मुश्किल हो जाएगा। इसलिए एक्युमुलेशन के दौरान आपके पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेशित रहना चाहिए। इक्विटी म्यूचुअल फंड का पैसा आगे किस प्रकार के शेयरों में निवेश किया जाना है उसके आधार पर इन्हें लार्ज कैप, मिड कैप, स्माल कैप, सेक्टर फंड इत्यादि विभिन्न श्रेणियों में रखा जाता है।

आपके पोर्टफोलियो में लार्ज कैप व मिड कैप दोनों ही तरह के म्यूचुअल फंड होने चाहिए, लेकिन ज्यादा प्रतिशत हिस्सा लार्ज कैप म्यूचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर है। साथ ही साथ पोर्टफोलियो का संतुलन बनाए रखने के लिए पोर्टफोलियो में डेट फंड का होना भी अत्यंत आवश्यक है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है और आप अपने लक्ष्य की और अग्रसर होते जाते हैं, अपना निवेश इक्विटी म्यूचुअल फंड से घटा कर डेट म्यूचुअल फंड में बढ़ाना चाहिए ताकि पूंजी खोने का जोखिम कम हो जाए।

डिस्ट्रिब्यूशन

रिटायरमेंट प्लानिंग का दूसरा चरण है डिस्ट्रिब्यूशन। यानि आपने जो पूंजी जमा की है, उसको इस तरह से निवेश किया जाए कि वह आपको निरंतर आय दे सके। इस दौरान आप बहुत अधिक जोखिम नहीं उठा सकते, क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। लेकिन चूंकि सेवानिवृत्ति के बाद भी एक लंबी जिंदगी होती है, इसलिए यह जरूरी है कि सुरक्षा और लिक्विडिटी के साथ-साथ आपके निवेश पर भी आकर्षक रिटर्न भी मिले ताकि इस उद्देश्य के लिए जमा पूंजी जीवन भर चल सके।

इस वक्त आपके पोर्टफोलियो में लिक्विड फंड, डेट फंड व इक्विटी फंड का होना बेहद जरूरी है। लिक्विड फंड इसलिए ताकि किसी भी प्रकार की आकस्मिक स्थिति में रकम उपलब्ध हो। डेट फंड पोर्टफोलियो का संतुलन बनाने में मदगार साबित होंगे और इक्विटी फंड से मिलने वाला आकर्षक रिटर्न महंगाई को मात देने में सफल साबित होगा।

रिटायरमेंट प्लानिंग जितनी जल्दी शुरू की जाए, लक्ष्य को हासिल करना उतना ही आसान होगा। साथ ही म्यूचुअल फंड एक लम्बी अवधि का निवेश है, इसलिए शेयर बाजार की तरह उसे रोज-रोज देखने की जरूरत नहीं है। किन्तु पोर्टफोलियो की निगरानी, समय-समय पर पोर्टफोलियो की समीक्षा व जरूरत पड़ने पर स्कीम में तब्दीली करने से लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

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