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Hindi News एजुकेशन बिहार गर्वनर ने स्टेट यूनिवर्सिटी की भर्ती को लेकर दिया अजीबोगरीब बयान, बोले- "अच्छे लोगों को ढूंढना मुश्किल है"

बिहार गर्वनर ने स्टेट यूनिवर्सिटी की भर्ती को लेकर दिया अजीबोगरीब बयान, बोले- "अच्छे लोगों को ढूंढना मुश्किल है"

बिहार की शिक्षा के हाल को लेकर समय-समय पर खबरे आती रहती हैं। इसी बीच गर्वनर का भी एक अजीबोगरीब बयान सामने आया है। गवर्नर ने स्टेट यूनिवर्सिटी की भर्ती को लेकर कहा कि अच्छे लोगों को ढूंढना मुश्किल है।

Bihar governor Rajendra V Arlekar- India TV Hindi Image Source : PTI राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर

बिहार में स्टेट यूनिवर्सिटी में कई पदों पर भर्तियां खाली पड़ी हुई हैं। इन्हीं को लेकर आज गवर्नर ने एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि अच्छे लोग को ढूंढना मुश्किल है। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा है कि बिहार के राज्य विश्वविद्यालयों का राजभवन की एक ऑडिट टीम द्वारा ऑडिट किया जाएगा, उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में सहायता के लिए ऑडिट निकाय सीएजी से पहले ही संपर्क कर चुके हैं।

"अच्छे लोगों को ढूंढना मुश्किल है।"

बिहार की यूनिवर्सिटीज में एजुकेशन के स्तर में सुधार के लिए उनके कार्यालय द्वारा उठाए जा रहे कदमों को लेकर हिंदुस्तान टाइम्स ने इंटरव्यू किया। इंटरव्यू में, राज्यपाल ने कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति की प्रक्रिया (वी-) जिन 7 यूनिवर्सिटी में खाली हैं उनमें से 6 के लिए सीएस पूरा कर लिया गया है। रजिस्ट्रार और एग्जाम कंट्रोलर जैसी अन्य महत्वपूर्ण पदों को भरने में अधिक समय लगेगा। उन्होंने आगे अजीबोगरीब बयान देते हुए कहा, "अच्छे लोगों को ढूंढना मुश्किल है।"

वीसी और प्रो. वीसी की नियुक्ति में कितना समय लगेगा?

राज्यपाल ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि 6 यूनिवर्सिटी के लिए प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और प्रतिष्ठित नामों वाली खोज समिति द्वारा शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के नाम एक सीलबंद लिफाफे में मुझे सौंपे गए हैं। मैंने उसे अभी तक नहीं देखा है। अब मैं परंपरा के मुताबिक मुख्यमंत्री से परामर्श का इंतजार कर रहा हूं।' सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के मुताबिक में, मैं इसे अपने दम पर कर सकता हूं लेकिन मैं इसे सीएम के परामर्श के बाद ही करना चाहता हूं। सीएम सचिवालय चाहता था कि शॉर्टलिस्ट किए गए नाम भेजे जाएं। मैंने वो भी किया। परामर्श पूरा होते ही नियुक्तियां कर दी जाएंगी। एक स्तर पर देरी से समग्र विलंब होता है। एक सिस्टम तब काम करता है जब सिस्टम के सभी अंग एक दूसरे के पूरक होते हैं।

राज्यपाल से फिर सवाल किया गया कि किस यूनिवर्सिटी को देरी का सामना करना पड़ रहा है?

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि पटना यूनिवर्सिटी में, प्रक्रिया में देरी हुई क्योंकि सरकारी नामित व्यक्ति उसी यूनिवर्सिटी से पेंशन धारक था। यूजीसी के निर्धारित मानदंडों के मुताबिक, सर्च कमेटी के किसी भी सदस्य को किसी भी तरह से उस यूनिवर्सिटी से संबंधित नहीं होना चाहिए, जिसके लिए नियुक्ति की जानी है। भेजे गये नाम पर एक सदस्य ने आपत्ति जतायी फिर हमने एक अलग नाम मांगा इसी के कारण कुछ विलंब हुआ। अंत में, हमने एक अलग सदस्य रखा और पैनल को सूचित किया। लेकिन सरकार ने अब अपने नॉमिनी का नाम भेज दिया है। पटना यूनिवर्सिटी के लिए भी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

यूनिवर्सिटीज में वीसी और प्रो.वीसी के अलावा रजिस्ट्रार, एग्जाम कंट्रोलर, फाइनेंशियल एडवाइजर और फाइनेंस ऑफिसर के पद भी खाली पड़े हुए हैं क्या कहेंगे इस पर?

राज्यपाल ने कहा मैं बेदाग रिकॉर्ड और सत्यनिष्ठा वाले लोगों की तलाश में हूं, क्योंकि ये प्रमुख पद हैं। अच्छे लोगों को ढूंढना मुश्किल है। मैंने विश्वविद्यालयों से नामों के पैनल मांगे हैं और कई बार मुझे उनमें समस्याएं दिखती हैं। कुछ लोगों का रिकॉर्ड दागदार है। जहां मैं नियुक्ति कर पाया हूं, वहां वीसी से शिकायतें हैं। कुछ वीसी ने अपने विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रारों को सिर्फ इसलिए हटाने के लिए मुझसे संपर्क किया क्योंकि अनुकूलता का मुद्दा था। मैं टकराव नहीं चाहता लेकिन रजिस्ट्रारों को जरूरी नहीं कि वे कुलपति की बात मानें। उन्हें वही करना होगा जो सही है। मुझे वी-सी को बताना पड़ा कि रजिस्ट्रार को नहीं, बल्कि मैं उसे हटाऊंगा, क्योंकि रजिस्ट्रार कुछ भी गलत नहीं कर रहा था।

बिहार के यूनिवर्सिटी अक्सर फाइनेंशियल अनियमितताओं को लेकर खबरों में रहते हैं। आप इसे ठीक कैसे करेंगे?

राज्यपाल ने इस पर कहा सभी यूनिवर्सिटी का ऑडिट राजभवन की ऑडिट टीम द्वारा किया जायेगा। मैं लेखा परीक्षकों और वित्तीय विशेषज्ञों के संपर्क में हूं। मैंने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के कार्यालय से भी संपर्क किया है और वे अपने लोगों को तैनात करने पर सहमत हो गए हैं। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि सभी विश्वविद्यालयों की ऑडिट रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जाए। स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रमों को विनियमित करने की भी आवश्यकता है। यदि छात्र उनके लिए भुगतान करते हैं, तो उन्हें उचित लाभ मिलना चाहिए।

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