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Hindi News चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज अप्रैल में शुरू होता है चाय की पत्तियां तोड़ने का काम, कुछ लोग मार्च में ही तोड़ आए: जेपी नड्डा

अप्रैल में शुरू होता है चाय की पत्तियां तोड़ने का काम, कुछ लोग मार्च में ही तोड़ आए: जेपी नड्डा

असम के चुनावी संग्राम में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पहुंचे। डिब्रूगढ़ की चुनावी सभा में जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की सरकार ने लंबे वक्त तक असम के साथ धोखा देने का काम किया है। कांग्रेस ने असम के साथ दोहरा चरित्र दिखाया।

Politics Of Opportunism: JP Nadda's Dig At Congress- India TV Hindi Image Source : PTI/ANI असम के चुनावी संग्राम में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पहुंचे।

गुवाहाटी: असम के चुनावी संग्राम में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पहुंचे। डिब्रूगढ़ की चुनावी सभा में जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की सरकार ने लंबे वक्त तक असम के साथ धोखा देने का काम किया है। कांग्रेस ने असम के साथ दोहरा चरित्र दिखाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कुछ लोग चाय के बागान में जाकर पत्ती तोड़ रहे थे और फोटो खिंचवा रहे थे। यहां पत्ती तोड़ने का मौसम अप्रैल में आता है, तो चाय बागान में मार्च महीने में क्या कर रहे थे? इनके हाथी के दांत दिखाने के कुछ हैं और खाने के कुछ।

जे.पी.नड्डा ने कहा, "कांग्रेस की न नीयत साफ है और न नीति साफ है, जब नीयत और नीति ही नहीं है तो कार्यक्रम नाम की तो चीज ही नहीं है। एक तरफ बीजेपी है, मोदी जी से लेकर सर्बानंद सोनोवाल तक हमारी नीति भी साफ है और नीयत भी।"

उन्होंने आगे कहा, "कांग्रेस अवसरवादी राजनीति करती है, कांग्रेस के नेताओं को शर्म-हया नहीं रह गई है। एक ही समय में 5 राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, केरल में कांग्रेस कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सिस्ट के खिलाफ चुनाव लड़ रही है, बंगाल में कांग्रेस CPM के साथ गले मिल रही है।" जेपी नड्डा ने कहा कि मनमोहन सिंह असम से लंबे वक्त तक राज्यसभा के सांसद रहे और प्रधानमंत्री बने. लेकिन उन्होंने असम के लिए काम नहीं किया।

बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जब असम दौरे पर पहुंचीं थीं तब वो असम के चाय बागान में महिलाकर्मियों के साथ पत्तियां तोड़ती नजर आईं थीं। प्रियंका असम दौरे के दूसरे दिन राज्‍य के सधारू टी स्‍टेट पहुंचीं थीं। वहां उन्‍होंने चाय बागान मजदूरों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने बागान में पारंपरिक रूप से सिर से टोकरी बांधकर पत्तियां भी तोड़ीं।

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