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विक्की कौशल ने कहा- मैं लोगों के लिए उदाहरण बनना चाहता हूं

'मसान', 'जुबान', 'संजू', 'राजी', 'लव पर स्क्वेयर फुट', 'लस्ट स्टोरीज' जैसी फिल्में हो, या हाल में रिलीज हुई 'उरी..' जैसी फिल्मों में विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं में विक्की ने अपनी प्रतिभा दिखाई है। 

<p>विक्की कौशल</p>- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM विक्की कौशल

नई दिल्ली: 'उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक' की सफलता का आनंद ले रहे अभिनेता विक्की कौशल का कहना है कि उन्होंने फिल्मी दुनिया में पहले से बने मानदंडों का पालन करने की कभी परवाह नहीं की है, चाहे फिल्म का नायक बनने की बात रही हों या 'मसान' जैसी शुरुआती फिल्म का हिस्सा बनने की बात। करण जौहर की आगामी फिल्म 'तख्त' में नजर आने को तैयार अभिनेता अपनी यात्रा को दूसरों के लिए एक उदाहरण पेश करने में विश्वास रखते हैं, न कि दूसरों के पदचिन्हों पर चलने में। यह पूछे जाने पर कि उन्हें गेम चेंजर क्यों कहा जाता है? विक्की ने ईमेल के माध्यम से आईएएनएस को बताया, "मुझे लगता है मैं अपनी अंतरात्मा की आवाज पर काम करता हूं, तय फार्मूले पर नहीं चलता।"

उन्होंने कहा, "एक अभिनेता के रूप में, मैं उस तरह के काम में नहीं फंसा, जो मेरे आसपास के लोग कर रहे हैं। चाहे यह किसी नायक की भूमिका रही हो, या 'मसान' जैसी फिल्म के साथ शुरुआत, ये सभी किसी भी नए अभिनेता को तयशुदा खाकों से अलग लगेंगे।" उन्होंने कहा, "मैंने अपने दिल की आवाज सुनने की कोशिश की है और मैं महान निर्देशकों के साथ अच्छी परियोजनाओं पर कोशिश करता हूं और काम करता हूं। मैंने यही करने की कोशिश की है और मुझे लगता है कि इसने मेरे पक्ष में काम किया है।"

'मसान', 'जुबान', 'संजू', 'राजी', 'लव पर स्क्वेयर फुट', 'लस्ट स्टोरीज' जैसी फिल्में हो, या हाल में रिलीज हुई 'उरी..' जैसी फिल्मों में विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं में विक्की ने अपनी प्रतिभा दिखाई है। उन्होंने कहा, "मैं तय मानकों की परवाह नहीं करता। मैं अपनी मिसाल कायम करना चाहता हूं। मैं अपनी यात्रा को दूसरों के लिए एक उदाहरण के रूप में पेश करना चाहता हूं और किसी के पद्चिन्हों पर चलना नहीं चाहता।"

'उरी..' की सफलता के बारे में उन्होंने कहा, "यह उन अनुभवों में से एक है, जो बतौर कलाकार और एक इंसान के रूप में बेहद उत्साहित करने वाला और समृद्ध अनुभव रहा है, क्योंकि जब आपको सेना के जवान की भूमिका निभाने के लिए उस वर्दी को पहनना पड़ता है, तो आपके कंधों पर बहुत सारी जिम्मेदारियां आ जाती हैं।" उन्होंने कहा, "मैंने एक आर्मी ऑफिसर, उनके परिवारों के जीवन के बारे में बहुत कुछ सीखा है.. आप महसूस कर सकते हैं कि वे हम सभी के लिए किस तरह निस्वार्थ काम कर रहे हैं। उनका नारा है -'स्वयं से पहले सेवा' और वे सही मायने में जीते हैं।"

(इनपुट- आईएनएस)

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