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Hindi News हेल्थ हेयर स्ट्रेटनिंग और कलरिंग का है शौक? जानें डॉक्टर की बड़ी WARNING! इन अंगों में हो सकता है कैंसर

हेयर स्ट्रेटनिंग और कलरिंग का है शौक? जानें डॉक्टर की बड़ी WARNING! इन अंगों में हो सकता है कैंसर

Hair straightener cancer: हेयर कलरिंग, हेयर स्ट्रेटनिंग और हेयर स्मूथिंग, आजकल ये तमाम चीजें चलन में हैं। युवाओं में ही नहीं हर उम्र के लोगों में ये फैशन ट्रेंड फॉलो किया जा रहा है। पर इसे लेकर डॉक्टर की राय बिलकुल अलग है और क्यों आपको इस बारे में जानना चाहिए।

hair straightening- India TV Hindi Image Source : SOCIAL hair straightening

Hair straightener cancer: हेयर स्ट्रेटनिंग,हेयर कलरिंग और हेयर स्मूथिंग ये तीन चीजें इन दिनों खूब ट्रेंड में हैं। हर कोई इन्हें करवा रहा है और अपने बालों के नया लूक दे रहा है। लेकिन, FDA (Food and Drug Administration) ने हाल ही में कैंसर की रोकथाम के लिए बालों को सिल्की और चिकना बनाने वाले उत्पादों में प्रयोग किए जाने वाले फॉर्मेल्डिहाइड और फॉर्मेल्डिहाइड-रिलीजिंग कैमिकल्स (formaldehyde and formaldehyde-releasing chemicals) पर प्रतिबंध लगाया है। लेकिन, समझने वाली बात ये है कि ये हेयर प्रोडक्ट्स से कैंसर का खतरा क्यों और कैसे है? इसी बात को समझने के लिए हमने  डॉ. राजित चानना, सीनियर कंसलटेंट -मेडिकल ऑन्कोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी, हॉस्पिटल से बात की है।

कैंसर का खतरा कैसे बढ़ाते हैं स्ट्रेटनिंग, कलरिंग और स्मूथिंग? 

डॉ. राजित चानना कहते हैं कि कैंसर की रोकथाम के लिए बालों को सिल्की और चिकना बनाने वाले उत्पादों में प्रयोग किए जाने वाले फॉर्मेल्डिहाइड और फॉर्मेल्डिहाइड-रिलीजिंग रसायनों पर एफडीए के प्रतिबंध जैसी पहल का हम तहे दिल से समर्थन करते हैं।  दरअसल, ‌बालों को सीधा करने वाले इस प्रकार के कुछ उत्पादों के प्रयोग से अल्पकालीन और दीर्घकालीन गंभीर समस्याएं होने की संभावना बनी रहती है। इनमें फॉर्मेल्डिहाइड (formaldehyde) होता है जो कि धुएं के संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन पैदा करते हैं।साथ ही सांस से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं और आगे चलकर कैंसर का भी जोखिम बढ़ जाता है।

महिलाओं में बच्चेदानी में कैंसर का खतरा

ये हेयर प्रोडक्ट्स गर्भाशय या बच्चेदानी कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। इसको लेकर 2022 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH Record) द्वारा अध्ययन से भी कई संकेत मिलते हैं, जिनमें इन रसायनों के धुएं से महिलाओं में गर्भाशय कैंसर की अधिक संभावना को बताया गया है। दरअसल, ये कैंसर तब होता है जब घातक कैंसर कोशिकाएं एंडोमेट्रियम के ऊतकों में बन जाती हैं, जो गर्भाशय की परत होती है। फॉर्मेल्डिहाइड इन कैंसर्स सेल्स को ट्रिगर करते हैं और शरीर में इनके म्यूटेशन को बढ़ावा देते हैं। 

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हेयर डाई से ब्लैडर कैंसर का खतरा

Cancer.gov की एक रिसर्च बताती है कि बालों को रंगने वाले डाई से ब्लैडर कैंसर का खतरा बढ़ता है। दरअसल, हेयर डाई उत्पादों का लगभग 80% हिस्सा हाइड्रोजन पेरोक्साइड से बनता है जो कि कार्सिनोजेनिक फॉर्मूलेशन हो सकते हैं। ये ब्लैडर कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। 

बढ़ता है ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर का खतरा

हेयर डाई, स्ट्रेटनर या रिलैक्सर्स में कार्सिनोजेनिक एजेंट होते हैं जो कि  ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। दरअसल,ये प्रोडक्ट्स बालों और स्कैल्प द्वारा अवशोषित होते हैं और शरीर तक पहुंच जाते है। खासकर कि फॉर्मेल्डिहाइड या मेथिलीन ग्लाइकॉल वाले कंपाउंड्स जैसे
-फॉर्मेलिन
-मेथनाल
-मिथेनडिओल
-फॉर्मेल्डिहाइड मोनोहाइड्रेट
 क्योंकि इन उत्पाद को गर्म करने पर फ्लैट-प्रेसिंग या ब्लो-ड्रायिंग के दौरान फॉर्मेल्डिहाइड निकलता है और यही कैंसर को ट्रिगर करता है। साथ ही ये सेल्स की हेल्दी सीक्वेंस को भी प्रभवित करता है और हार्मोनल हेल्थ व फाइन रेडिकल्स को बढ़ाता है जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है। 

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क्या है डॉक्टर का सुझाव-

डॉ. राजित चानना कहते हैं कि इसलिए रोजमर्रा के  उत्पादों में कार्सिनोजेनिक एजेंटों को पहचान कर उनका प्रयोग न करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी से आप संभावित कैंसर की समस्याओं से बच सकते हैं और इसी के साथ यह भी जरूरी है कि आप सुरक्षित हेयर प्रोडक्ट्स की पहचान करके उन्हीं का प्रयोग करें।  

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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