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Hindi News हेल्थ भारत में इस माह तक पीक पर पहुंच जाएगा कोरोना वायरस का कहर, ICMR का दावा

भारत में इस माह तक पीक पर पहुंच जाएगा कोरोना वायरस का कहर, ICMR का दावा

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि भारत में नवंबर के मध्य में कोरोना का भयावह रूप लोगों को देखने को मिलेगा।

Covid 19- India TV Hindi Image Source : PINTEREST Covid 19- कोविड-19

भारत में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। अकेले भारत में कोरोना मरीजों की संख्या 3 लाख के पार पहुंच चुकी है। सबसे ज्यादा भयावह स्थिति महाराष्ट्र और दिल्ली में है जहां पर अनलॉक के बाद कोरोना पीड़ितों की संख्या में एकदम से इजाफा हुआ है। अगर आप ये सोच रहे हैं कि आने वाले कुछ महीनों में कोरोना से आप मुक्ति पा सकेंगे, तो आप बिल्कुल गलत हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना को लेकर हाल ही में एक अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन के मुताबिक भारत में नवंबर के मध्य में कोरोना का भयावह रूप लोगों को देखने को मिलेगा। यहां तक कि वेंटिलेटर और क्वारंटीन सेंटर की भारी कमी भी भारत को झेलनी पड़ सकती है। 

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ये अध्ययन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। आईसीएमआर के अनुसार लॉकडाउन की वजह से भारत में कोरोना संक्रमण पैर उतने नहीं पसार पाया जितना कि लॉकडाउन नहीं होने पर फैल जाता। यानी कि लॉकडाउन की वजह से कोरोना संक्रमण 34 से 76 दिन आगे बढ़ गया, जिससे इस महामारी से लड़ने में हमें जो तैयारी करनी थी उसमें समय मिल गया। 

अभी के हालातों की बात करें तो लॉकडाउन की वजह से स्वास्थ्य सेवाओं में हम 60 प्रतिशत कोरोना से संक्रमित लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं जल्द से जल्द उपलब्ध कराने में सफलता प्राप्त हूई है। यही गति रही तो हम नवंबर के पहले हफ्ते में कोरोना संक्रमितों को मिलने वाली पहले हफ्ते में मांग के अनुसार आपूर्ति कर पाएंगे। इसके बाद कोरोना मरीजों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हो सकता है। जिसकी वजह से 4 से 5 महीने तक क्वारंटीन सेंटर, आईसीयू बेड 4 से 6 महीने तक और वेंटिलेटर 3 से 9 महीने तक अपर्याप्त हो सकते हैं। ये अनुमान शोधकर्ताओं द्वारा लगाया गया है। 

हालांकि, यह कमी लॉकडाउन और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के बिना जितना हो सकता था, उससे 83 प्रतिशत कम है। शोधकर्ताओं के अनुसार अगर स्वास्थ्य उपायों की आपूर्ति को 80 प्रतिशत तक बढ़ाया गया, तो महामारी को कम किया जा सकता है। 

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